नई दिल्ली। पाकिस्तान की तरफ से किए जा रहे सीजफायर के दौरान शनिवार देर रात बीएसएफ के जवान गुरमान ने जिंदगी की जंब से हार मान ली। गुरमान ने 21 अक्टूबर को पाकिस्तान की तरफ से हो रही फायरिंग के चलते एक आतंकी सहित 7 रेंजर्स को मार गिराया था। जिसके बाद पाक सेना ने गुरमान पर घात लगाकर उन पर हमला कर दिया था। इस हमले के दौरान गुरमान के सिर में गोली लग गई थी जिसके बाद उन्हें बुरी हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं इस खबर के चलते गुरमान का परिवार में मातम छाया हुआ है। इसके साथ ही गुरमान के पिता कुलबीर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पाकिस्तान के खिलाफ जंग छेड़ने की अपील की है।
पिता ने की अस्पताल बनाने की मांग:-
शहीद जवान के पिता कुलबीर सिंह कहा कि हमारा बेटा बहुत बहादुर था। हमें बिल्कुल भी सदमें में नहीं है बल्कि खुश है कि मेरे बटे ने अपने देश के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा कि यहां पर कोई भी अच्छा अस्पताल नहीं है इसलिए हम सरकार से दरखास्त करते है कि वो जम्मू में एक अच्छे अस्पताल का निर्माण करें जहां पर सारी आधुनिक सुविधाएं मौजूद हो।
गुरमान की मां ने कहा नहीं रोएंगी वो:-
देश के नाम पर अपनी जान न्यौछावर करने वाले बेटे गुरमान की मां जसवंत कौर ने कहा मैं बिल्कुल भी नहीं रोउंगी क्योंकि गुरमान ने मुझसे कहा था कि अगर उसे कुछ हो जाएं तो वो बिल्कुल भी न रोए।
मेरे भाई जैसी किसी की हालत न हो:-
वहीं अपने जान से प्यारे भाई की मौत की खबर सुनकर गुरमान की बहन गुरजीत सिंह का रो रोकर बुरा हाल है। गुरजीत ने कहा कि मुझे बहुत गर्व है कि मेरा भाई अपने देश के लिए शहीद हो गया। मेरा भाई जिस तरह से वहां पर पड़ा हुआ था उसकी किसी ने भी सुध नहीं ली। इसके साथ ही उन्होंने प्रशासन से सवाल करते हुए पूठा कि आखिर क्यों उनके भाई को इलाज के लिए बाहर नहीं भेजा गया? मैं अब सरकार से इतनी उम्मीद करती हूं जिस तरह से मेरे भाई के साथ हुआ वैसा किसी जवान के साथ न हो। गुरजीत ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि मेरे भाई के नाम का एक अस्पताल बनाया जाए, जहां पर सभी सुविधाओं हो।
गौरतलब है कि गुरमान सिंह की निधन के चलते जहां एक ओर पूरा देश उनकी शहादत तो सलाम कर रहा है तो वहीं उनके परिजनों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। परिजनों का कहना है कि अगर सही वक्त पर उनका इलाज हो जाता तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी।