नई दिल्ली। आने वाली 4 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा का पर्व है, इसको त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म ग्रन्थों के अनुसार इस दिन भगवान भोले नाथ ने त्रिपुरासुर नामक एक राक्षस का वध किया था। इस राक्षस के देवों और मानवों को मुक्ति दिलाने के कारण ही महादेव को त्रिपुरारी की तौर पर पूजा जाने लगा था। मान्यता है कि इस दिन अगर व्यक्ति भगवान भोले नाथ का दर्शन सच्चे मन से करे तो उसकी सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
इस दिन की मान्यता है कि कृतिका नक्षत्र में भोलेनाथ के दर्शन से व्यक्ति को सात जन्मों तक धन की कमी नहीं रही है। इस दिन गंगा में स्नान करने से कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही इस दिन स्नान और दान का फल अक्षय होता है। इस दिन अगर किसी ने गंगा में स्नान कर लिया तो उसे पूरे वर्ष के स्नान का फल मिल जाता है। शैव संप्रदाय की माने तो इस दिन भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर का वध किया था। इसलिए इस दिन भोलेनाथ के पूजन अर्चन का विशेष महत्व होता है।
वहीं वैष्णव भक्तों की माने तो प्रलयकाल में भगवान विष्णु ने अपना प्रथम अवतार मत्य अवतार लिया था। इस अवतार के जरिए भगवान विष्णु ने वेदों की रक्षा करते हुए प्रयलकाल में सप्तऋषियों, और अनाजों के साथ नावका में सवार जीव जन्तु और राजा सत्यव्रत की रक्षा की थी। विष्णु के इस अवतार के कारण ही सृष्टि का निर्माण हो सका था। मान्यता है कि इस दिन गंगा के अलावा अन्य तीर्थ स्थलों पर मौजूद नदियों में स्नान करने से भी लाभ मिलता है। पुराणों से वर्णित सप्तपुरियों का इस दिन विशेष महत्व होता है। गंगा के साथ यमुना, गोदावरी, नर्मदा, गंडक, कुरूक्षेत्र, अयोध्या, काशी में स्नान दान से व्यक्ति के कर्म संचित और फलदाई हो जाते हैं।