प्रयागराज: संगमनगरी प्रयागराज स्थित इलाहाबाद विश्वविद्यालय के फोटोग्राफी विभाग में फीस घोटाले का नया मामला सामने आया है। यहां पर जमा फीस में 88 लाख के हेराफेरी के मामले ने विश्वविद्यालय प्रशासन ने हड़कंप मचा दिया है।
88 लाख की रकम को फाइलों, कागजों में उलझाकर कौन हजम कर गया ये समझ से परे है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसी जांच शुरू कर दी है।
इस प्रकरण की शिकायत केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव से कर दी गई है।
1936 में खोला गया था फोटोग्राफी विभाग
बता दें कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में साल 1936 में फोटोग्राफी विभाग को खोला गया था। उसके बाद यहां पर फोटोग्राफी की शिक्षा व्यवस्था शुरू की गई थी। वर्ष 1937 में डिप्लोमा, 1995 में डिग्री स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम के संचालन की मंजूरी मिली थी। इसी बीच 2012 में कार्यपरिषद की बैठक में फोटोग्राफी की अलग से विभाग बनाने की मुहर लगी थी।
2019 में विभाग को बंद करने का लिया गया निर्णय
अचानक 2019 में तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर रतनलाल हंगलू ने फोटोग्राफी विभाग को बंद करने का फैसला ले लिया था, इसके साथ ही इस विभाग में कार्यरत सभी कर्मचारियों को दूसरे विभाग में संबद्ध कर दिया गया।
इस सत्र 2020-21 में छात्रों को प्रवेश नहीं दिया गया, तो मामले में 2 दिन पहले यूजीसी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन से जवाब तलब कर लिया। इसी बीच फोटोग्राफी विभाग फीस घोटाले के गंभीर आरोपों से घिर गया है।
भारत के नामचीन विश्वविद्यालयों में है शुमार
बता दें कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय देश का नामी गिरामी विश्वविद्यालय है। ये आधुनिक भारत के सबसे पहले विश्वविद्यालयो में भी गिना जाता है। इसे पूरब का आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय भी कहा जाता है।
इस विश्वविद्यालय में पढ़कर अब तक न जाने कितने ही छात्र आईएएस, पीसीएस बन चुके हैं। इस विश्वविद्यालय में पढ़ने का सपना लेकर पूरे भारत से दूर-दूर से छात्र पढ़ने आते हैं।