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चुनाव आयोग ने सपा के दोनों खेमों से मांगा जवाब

akhliesh 2 चुनाव आयोग ने सपा के दोनों खेमों से मांगा जवाब

लखनऊ। सपा खेमे में चल रही सियासी जंग के बीच मुलायम सिंह यादव ने अपने प्रतिनिधि अमर सिंह से चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपा है। सपा सुप्रीमो द्वारा दिये गये लिखित ज्ञापन 1 जनवरी को रामगोपाल यादव द्वारा बुलाये गये राष्ट्रीय अधिवेशन के असंवैधानिक होने के प्रमाण बताया गया है। एक तरफ सपा सुप्रीमो ने ज्ञापन सौंपा है तो दूसरी तरफ अखिलेश यादव ने अपने घर 5 कालिदास मार्ग पर विधायकों की बैठक बुलाई है।

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चुनाव आयोग और हलफनामा

सपा में छिड़े संग्राम पर चुनाव आयोग ने पार्टी के दोनों खेमे यानि अखिलेश गुट और मुलायम गुट दोनों को हलफनामा देकर कुछ बातों को स्पष्ट करने के लिए कहा है।
हलफनामे में दोनों खेमों को यह बताना होगा कि उन्हें कितने विधायक, कितने एमएलसी और कितने एमपी का समर्थन हासिल है। दोनों खेमों को 9 जनवरी तक चुनाव आयोग को रिपोर्ट सौपनी है।

चुनाव आयोग द्वारा रिपोर्ट मांगे जाने के बाद अखिलेश यादव ने मीडिया से मुखाबित होते हुए कहा, हम दोबारा लौटेंगे, कहां बोल्ट लगाना है और कहां हथौड़ा इस्तेमाल करना है, सब सही से करेंगे।’

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आजम खान बने बिचौलिया

उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी सपा में कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। तमाम प्रयासों के बाबजूद अखिलेश और मुलाय़म दोबारा एक होने के लिए तैयार नहीं है। दोनों नेताओं में सुलह कराने के लिए आजम खान बीच में आए हैं। सपा सुप्रीमो मुलायम से मुलाकात के बाद आजम खान ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि सपा में विवाद खत्म करने के लिए उन्हें किसी के भी हाथ पैर-जोड़ने पड़े वो जोड़ लेंगे। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के साथ चली घंटों बैठक में आजम भी कोई नतीजा नहीं निकाल पाए।

अखिलेश-मुलायम की बैठक में नहीं निकला हल

दिल्ली में चुनाव आयोग से बैठक करने के बाद लखनऊ लौटे मुलायम सिंह से अखिलेश ने मुलाकात की। दोनों नेताओं की यह बैठक ढ़ाई घंटे चली जिसका कोई नतीजा नहीं निकला। अखिलेश के बैठक से निकलने के बाद शिवपाल ने मुलायम से बातचीत की, जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि सपा में संग्राम अब खत्म हो जाएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

इससे पहले, मुलायम और अखिलेश की मंगलवार को कई घण्टों चली बैठक बेनतीजा रही थी। बुधवार को इस बैठक में इन तमाम बिन्दुओं पर एक फिर से चर्चा हुई, जिससे किसी भी तरह की सुलह हो सके। दरअसल चुनाव आयोग की ओर से तारीखों का ऐलान करने के बाद अब पार्टी के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह आम सहमति से कोई रास्ता निकाल लें, क्योंकि दोनों ही गुट आयोग में साइकिल चुनाव चिन्ह पर अपना दावा कर चुके हैं। ऐसे में तुरन्त इसका हल निकलने की सम्भावना नहीं है। जाहिर है पार्टी को इससे बेहद नुकसान होगा।

यही वजह है कि बार-बार बैठकें पूरी तरह से बेनतीजा निकलने के बाद एक बार फिर कोशिशें शुरू हो जाती हैं। इस पूरी कवायद में आज़म खां की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। दोनों ही पक्षों के लोगों से उनकी मुलाकात जारी है। उन्होंने मंगलवार रात को भी कहा था कि वह सुलह के लिए किसी के भी हाथ-पैर जोड़ने के लिए तैयार हैं। जहां नाक झुकाना हो झुका लेंगे, खुशामद करना हो तो वह भी कर लेंगे। आज़म ने दावा किया था कि मुलायम चाहते हैं कि मुद्दों का समाधान हो, वह सकारात्मक और नरम हैं।

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