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दुष्कर्म और महिला उत्पीड़न के नाम पर खेल, बेगुनाहों को भी जेल?

दुष्कर्म और महिला उत्पीड़न के नाम पर खेल, बेगुनाहों को भी जेल?

फतेहपुर: दुष्कर्म और महिला उत्पीड़न बेहद संवेदनशील मामला माना जाता है, लेकिन तब क्या हो जब किसी सामान्य विवाद पर किसी के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज हो जाए या थाने में तहरीर पहुंच जाए।

ऐसे में उस व्यक्ति का समाजिक नुकसान तो होता ही है, साथ में अपराधबोध होने का गम भी सताता है। पुलिस भी अपनी छीछालेदर से बचने के लिए मुकदमा दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार करते हुए न्यायालय भेज देती है। यह सब केवल सामान्य आदमी के साथ ही नहीं किसी के साथ भी हो सकता है।

महिला ने थाना प्रभारी पर ही लगाया आरोप  

फतेहपुर में मंगलवार को असोथर थाना प्रभारी नागेंद्र कुमार नागर पर भी एक विवादास्पद महिला ने महिला उत्पीड़न का आरोप लगा दिया। कप्तान से शिकायत भी कर दी। कहने का मतलब है कि जरा सा चूके तो मुकदमा दर्ज हो जाएगा और आरोपी को जेल भी जाना पड़ सकता है। कई बार तो पुलिस भी सही बात जानते हुए भी कुछ न कर पाने की स्थिति में होती है। तो वहीं आरोपी और उसके परिजनों के लिए यह सब बहुत दुखदाई होता है।

पिछले कुछ महीनों में फतेहपुर जिले में ऐसे कई मामले देखने को मिले जहां पर मामूली विवाद, बच्चों की लड़ाई, पानी भरने के विवाद, चुनावी रंजिश, प्रेम प्रसंग जैसे मामलों पर एक ने दूसरे पर दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाया या फिर विवादस्पद पीड़ित की थाने तक तहरीर पहुंची। स्थानीय पुलिस ने भी समझाने का प्रयास किया, लेकिन जब एक पक्ष मुकदमा दर्ज करने पर अड़ गया तो मजबूरी में थाना प्रभारियों को मुकदमा दर्ज करना पड़ा।

तहरीर के आधार मुकदमा दर्ज करना मजबूरी

जानकारों की मानें तो किसी महिला का दुष्कर्म हुआ हो या न हुआ हो पीड़िता के बयान मात्र से ही आरोपी पर साक्ष्य पर्याप्त माने जाते हैं। मेडिकल रिपोर्ट भी यदि आरोपी के पक्ष में है, तब भी पीड़िता का बयान ही सर्वोपरि माना जाता है। अब चाहे पीड़ित सही हो या गलत। मामले पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी का कहना था कि ऐसे मामलों पर तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज करना मजबूरी हो जाती है।

उनका कहना था कि यदि मुकदमा नहीं लिखा जाएगा तो मीडिया ट्रायल, वरिष्ठ अधिकारी, महिला आयोग और न्यायालय से नोटिस आने जैसे तमाम दबाव बन सकते हैं। ऐसे में कहीं न कहीं आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना मजबूरी हो जाता है। हालांकि, कुछ मामलों पर यह घटनाएं सही भी होती हैं, लेकिन अधिकतर फर्जी मामले होते हैं।

बीते माह जिले में हुए कुछ घटनाक्रम:

25 मई 2021

असोथर थाना क्षेत्र की एक महिला ने अपने पक्ष में रिपोर्ट तैयार न करने पर इंस्पेक्टर नागेंद्र कुमार नागर को धमकाया। महिला उत्पीड़न का आरोप लगा कर आयोग तक घसीटने की धमकी दी।

मई 2021

मलवां थाना क्षेत्र की एक महिला ने अपने जेठ पर घर में घुसकर बच्चों के सामने दुष्कर्म करने का आरोप लगाया। तहरीर लेकर थाने भी पहुंची। बाद में पता चला कि हैंडपंप से पानी भरने का विवाद था।

मार्च 2021

खागा थाना क्षेत्र में एक ने दूसरे पर दर्ज करवाया दुष्कर्म का मुकदमा। दोनों एक-दूसरे के पड़ोसी। मामला प्रेम प्रसंग का बताया जा रहा।

जनवरी 2021

हुसैनगंज थाना क्षेत्र के एक गांव में मायके से आयी महिला को ससुराल वालों ने जलाया। देवर बचाने आया झुलसा, उपचार के दौरान भाभी-देवर की मौत। मायका पक्ष ने देवर के खिलाफ भी हत्या का मुकदमा दर्ज कराया।

नवंबर 2020

बिंदकी में बच्चों का विवाद बढ़ा तो दूसरे पक्ष ने दर्ज कराई दुष्‍कर्म की एफआइआर। दोनों के घर आमने-सामने।

अक्टूबर 2020

खागा में नाबालिक बच्चे पर पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म का मामला, एफआइआर दर्ज। स्थानीय लोगों के अनुसार दोनों पार्क में खेल रहे थे।

अक्टूबर 2020-

असोथर थाना क्षेत्र के एक गांव में एक पक्ष ने दूसरे पक्ष के पिता और उनके दोनों पुत्रों पर अपनी नाबालिग पुत्री के साथ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया।

अक्टूबर 2020

मलवां थाना क्षेत्र में प्रेमी-प्रेमिका के बीच विवाह को लेकर झगड़ा। प्रेमी ने की प्रेमिका की हत्या। एफआइआर दुष्कर्म और हत्या का दर्ज कराया गया।

अक्टूबर 2020

ललौली थाना क्षेत्र में लॉकडाउन के दौरान घर आए युवक का युवती से प्रेम प्रसंग हुआ। युवक के बुलाने पर युवती खेत पहुंची। यहीं पर किसी बात को लेकर विवाद और फिर युवक ने युवती की हत्या की। परिजनों ने युवक के साथ उसके दोस्त पर गैंगरेप-हत्या का मुकदमा दर्ज कराया।

मामले पर सभी को करना होगा मंथन

यह तो केवल बानगी मात्र है, खोजने से ऐसे न जाने कितने मामले मिल जाएंगे जहां पर दुष्कर्म या महिला उत्पीड़न पर ऐसी ही कार्रवाई हुई। हालांकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, लेकिन स्थानीय स्तर पर जो बातें पता चलती हैं, वह भी कहीं न कहीं ऐसे मामलों पर सत्य होती हैं। दुष्कर्म और महिला उत्पीड़न को आपसी वैमनस्यता से जोड़कर इसका गलत उपयोग न हो इसके लिए मीडिया, पुलिस, महिला आयोग और संबंधित जिम्मेदारों को आगे आना होगा। जिससे समाजिक ताने-बाने को व्यवस्थित रूप से चलाया जा सके।

“दुष्कर्म जैसी वारदात में एफआइआर तो बहुत जरूरी होती है, लेकिन सामान्य विवाद को दुष्कर्म के रूप में नहीं दर्ज करना चाहिए। इसके लिए स्थानीय पुलिस के पास साधन-संसाधन होते हैं वह स्वयं पड़ताल करवा सकते हैं। महिला आयोग का प्रयास रहता है कि महिलाओं को न्याय मिले न कि किसी बेगुनाह को सजा मिले। आयोग पुलिस के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करती है। इसलिए सही को सही और गलत को गलत ही कहा जाना चाहिए।”

कुमुद श्रीवस्तव, सदस्य, राज्य महिला आयोग, उत्तर प्रदेश

“महिला उत्पीड़न के खिलाफ हमारे पास जो भी तहरीर आती है, उसी के आधार पर मुकदमा दर्ज होता है। नियमानुसार कार्रवाई करने के बाद आरोपी को न्यायालय के समक्ष पेश किया जाता है। न्यायालय का निर्णय ही न्याय होता है।”

सतपाल आंतिल, पुलिस अधीक्षक, फतेहपुर

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