नई दिल्ली। चुनावी खर्च को लेकर लगातार चल रहे गहमागहमी पर आज चुनाव आयोग ने अपने रुख को स्पष्ट कर दिया है। निर्वाचन आयोग ने बुधवार को देश के पांचों राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में प्रति उम्मीदवार खर्च सीमा तय कर दी। इन पांचों राज्यों में प्रति उम्मीदवार खर्च की जाने वाली सीमा 20 लाख रुपये से 28 लाख रुपये के बीच तय की गई है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) नसीम जैदी ने खर्च सीमा का ऐलान करते हुए कहा, गोवा और मणिपुर में चुनाव पर प्रति उम्मीदवार 20 लाख रुपये खर्च किए जा सकते हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में यह राशि 28 लाख रुपये होगी। चुनाव आयोग की तरफ से कहा गया है कि कई सारे पार्टी के अपने टीवी चैनल भी हैं ऐसे में अगर वो अपने टीवी चैनल पर पेड कार्यक्रम भी चजवाते हैं वो भी चुनावी खर्चे के अंतर्गत आएगा।
चुनावी चंदे को लेकर आयोग ने सरकार से प्रस्ताव को लेकर की थी मांग– चुनाव में काले धन के होने वाले इस्तेमाल को लेकर चिंता जताते हुए चुनाव आयोग ने सरकार से कानून में संशोधन करने की मांग की है। चुनाव आयोग ने सरकार से सिफारिश की है कि सरकार की तरफ से ऐसे कानून बनाए जाए जिसमें दो हजार से ज्यादा के चंदों के लिए राजनीतिक पार्टियों को उसका स्त्रोत बताना हो। सरकार को चुनाव आयोग ने इसको लेकर सुझाव भी भेजा है जिसमें कहा गया है कि किसी भी राजनीतिक पार्टी को दो हजार से अधिक के गुप्त चंदे प्राप्ति पर से रोक लगाई जाए।
यहां आपको बता दें कि चलता आ रहा है कि राजनीतिक पार्टियां लाखों करोड़ों का चंदा चुनावों के दौरान लेते हैं। चुनाव में चंदो को लेने के नियमानुसार जनप्रतिनिधि कानून 1951 के सेक्शन 29 सी के अनुसार पार्टियों के लिए बीस हजार से ज्यादा के चंदो का स़्त्रोत बतना जरुरी है। आयेग की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि सिर्फ उन्हीं दलों को आयकर में छूट दी जानी चाहिए जो चुनाव लड़ती हो या फिर संसदीय या विधानसभा चुनावों में जीत हासिल कर चुकी हों।