तिरुपति बालाजी मंदिर ट्रस्ट अपने कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए मंदिर ट्रस्ट में जमा एफडी और सोने का इस्तेमाल नहीं करेगी। ट्रस्ट ने कहा है कि बैंक में जमा एफडी और सोना देश के श्रद्धालुओं के लिए एक भावुक मुद्दा है, इसलिए ट्रस्ट इसमें हाथ नहीं लगायेगी. बता दें कि ट्रस्ट के पास विभिन्न बैंकों में तकरीबन 14000 करोड़ रुपये एफडी के रूप में जमा है।
एक निजी वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन की वजह से तिरुपति बालाजी मंदिर को भी भारी नुकसान हुआ है, जिसके कारण मंदिर प्रशासन के पास नकद राशि खत्म हो गयी है, ऐसे में माना जा रहा था कि ट्रस्ट एफडी तोड़कर अपने कर्मचारियों को सैलरी दे सकती है.
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ट्रस्ट के अध्यक्ष वाई वी सुब्बा रेड्डी ने बताया कि ट्रस्ट के पास पिछले दो महीने में जो बकाया नकद राशि थी, उसका उपयोग किया जा चुका है, ट्रस्ट के पास अब कोई राशि नहीं बची है. हम एफडी और सोने का उपयोग नहीं करेंगे. रेड्डी ने आगे बताया कि हमारे सीएम वाई जगनमोहन रेड्डी ने कहा है कि इसका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए. यह देश के श्रद्धालुओं के लिए भावुक मुद्दा है.
400 करोड़ राजस्व नुकसान- समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार वेंकटेश्वर मंदिर का संचालन और देख-रेख करने वाले तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने बताया कि इस साल तकरीबन अबतक 400 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान हुआ है.
हर महीने 220 करोड़ का खर्च- मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन वाई वी सुब्बा रेड्डी ने आगे बताया कि TTD अपने कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन देने के लिए बाध्य होता है. इसके अलावा रेवेन्यू न होने के बावजूद भी अन्य तय खर्च करने होते हैं. TTD विभिन्न कार्यों के लिए सालाना 2,500 करोड़ रुपये खर्च करता है.
रेड्डी ने कहा तिरुमला मंदिर में हर महीने औसतन 200-220 करोड़ रुपये का इनकम आता है. लेकिन लॉकडाउन के बाद कोई इनकम नहीं आया है.
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कमेटी के अध्यक्ष वाई वी सुब्बा रेड्डी ने कहा कि कोरोनावायरस से निपटने के लिए केन्द्र द्वारा 24 मार्च को लगाये गये लॉकडाउन के बाद मंदिर को हर महीने 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि हमने एहतियात के तौर पर 20 मार्च से ही मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था.