लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब जिन लोगों के दो बच्चे हैं, आने वाले दिनों में उनके लिए राहें आसान होंगी। लेकिन जिन अभिभावकों के दो से ज्यादा बच्चे हैं, उन्हें मुश्किलों को सामना करना पड़ सकता है।
दरअसल, प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए राज्य विधि आयोग ने कानून का मसौदा बनाना शुरू कर दिया है। फिलहाल, आयोग राजस्थान व मध्य प्रदेश समेत कुछ अन्य राज्यों में लागू कानूनों के साथ सामाजिक परिस्थितियों व अन्य बिंदुओं पर स्टडी कर रहा है। वह राज्य सरकार को जल्द ही अपना प्रतिवेदन तैयार कर सौंपेगा।
जनसंख्या नीति का पालन होना जरूरी: मनीष शुक्ला
इस पर भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि, देश में एक राष्ट्रीय जनसंख्या नीति लागू है और निश्चित रूप से उसका पालन होना चाहिए। राज्य विधि आयोग ने बढ़ती हुई जनसंख्या पर चिंता व्यक्त की है और कुछ सुझाव भेजे हैं। इसपर किसी को दो राय नहीं होनी चाहिए कि सभी संसाधनों पर बढ़ती हुई जनसंख्या भारी पड़ रही है।
विधि आयोग ने अब प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के बड़े मुद्दे पर अपना काम शुरू किया है। इसके तहत दो से ज्यादा बच्चों के अभिभावकों को सरकारी सुविधाओं के लाभ से वंचित किए जाने को लेकर विभिन्न बिंदुओं पर स्टडी की जाएगी। खासकर सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली सुविधाओं में कितनी कटौती की जाए, इस पर मंथन होगा।
इन बिंदुओं पर भी विचार
राज्य में फिलहाल राशन व अन्य सब्सिडी में कटौती जैसे विभिन्न बिंदुओं पर मंथन शुरू हो गया है। प्रदेश में अभिभावकों को इस कानून के दायरे में किस समय सीमा के तहत लाया जाएगा, उनके लिए सरकारी सुविधाओं और सरकारी नौकरी में क्या व्यवस्था होगी, इस प्रकार के कई बिंदु भी बेहद अहम होंगे।
इस संबंध में विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल का कहना है कि, जनसंख्या नियंत्रण को लेकर राजस्थान, असम व मध्य प्रदेश में लागू कानूनों का अध्ययन शुरू किया गया है। प्रतिवेदन बेरोजगारी व भुखमरी सहित अन्य बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए विभिन्न पहलुओं पर विचार के आधार पर तैयार किया जाएगा।