Gopashtami 2022: हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टी का त्योहार मनाए जाने की परंपरा है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने गोपाष्टमी पर ही गौ-चारण यानी गायों को चराना शुरू किया था।
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चूंकि श्रीकृष्ण स्वंय गायों की सेवा करते थे, इसलिए इस दिन गौ सेवा का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन गौ माता का विधि-विधान के साथ पूजन किया जाता है।
गोपाष्टमी 2022 तिथि व शुभ मुहूर्त
- कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि
- 1 नवंबर को सुबह 1 बजकर 11 मिनट पर शुरू।
- रात 11 बजकर 4 मिनट पर समाप्त।
अभिजित मुहूर्त
- सुबह 11 बजकर 42 मिनट से लेकर 12 12 बजकर 27 मिनट।
गोपाष्टमी पर करें इस मंत्र का जाप
सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता, सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस,
तत: सर्वमये देवि सर्वदेवैरलड्कृते, मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी!!
गोपाष्टमी पूजन विधि
- गोपाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर मंदिर को स्वच्छ करें।
- मंदिर में गाय माता की बछड़े के साथ एक तस्वीर लगाएं और उसके समक्ष घी का दीपक जलाएं। साथ ही धूपबत्ती भी करें और पुष्प अर्पित करें।
- इस दिन गाय को अपने हाथों से हरा चारा खिलाना चाहिए और उनके चरण स्पर्श करने चाहिए।
- गोपाष्टमी के दिन गाय को चारे के साथ ही गुड़ का भी भोग लगाएं। ऐसे करना शुभ माना गया है और इससे मनुष्य को सूर्य दोष से मुक्ति मिलती है।
- यदि आस-पास गाय का मिलना मुश्किल है तो किसी गौशाला में जाकर चारा दान करें और गायों की सेवा करें।