भाई दूज || एक साथ पांच पर्वों की श्रखंला में दिवाली का आखिरी दिन भाई दूज के त्योहार के नाम से जाना जाता है। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती हैं। भाई शगुन के रूप में बहन को उपहार भेंट करता है। भाई दूज के दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन भी होता है।
मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य की पुत्री यमुना ने अपने बड़े भाई यमराज को भोजन कराया था इससे प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना को वरदान दिया था कि आज के दिन जो बहने अपने भाई को भोजन करेंगे उन पर भगवान सूर्य देव और विष्णु की कृपा सदा बनी रहे। यह मान्यता पूरे देश भर मान्य लेकिन बिहार में भैया दूज बनाने की एक अलग ही परंपरा सदियों से चली आ रही है।
बिहार में भाई दूज मनाने की अनोखी परंपरा
बिहार में भाई दूज मनाने की एक अनोखी परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस रिवाज के अनुसार बहन ने अपने भाई को डांटते हैं, उन्हें भला-बुरा कहते हैं और बाद में उनसे माफी मांगती हैं। इस रिवाज को लेकर बिहार के लोगों का कहना है कि भाइयों द्वारा पहली की गई गलतियों के चलते यह परंपरा निभाई जा रही है। इस रिवाज के बाद बहने अपने भाई का तिलक करती है और मिठाई खिलाते हैं। हालांकि यह परंपरा बिहार के कुछ हिस्सों के साथ हैं पश्चिम बंगाल में भी कई स्थानों पर मनाया जाता है।