नई दिल्ली। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितरों की आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए पिंडदान अहम कर्मकांड है। अश्विन मास के कृष्ण पक्ष को ‘पितृपक्ष’ या ‘महालय पक्ष’ कहा जाता है, जिसमें लोग अपने पुरखों का पिंडदान करते हैं। मान्यता है कि पिंडदान करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
हिन्दू धर्म के अनुसार आश्विनमास के कृष्ण पक्ष श्राद्ध के रूप में मनाया जाता है। श्राद्ध अर्थात श्रद्ध ….इन 15 दिनों में हम अपने पूर्वजों को याद करते हुए श्रद्धा प्रकट करते हैं। श्राद्ध पक्ष को पितृ पक्ष व महालय के नाम के नाम से भी जाना जाता है। आपके पितृ आपकी श्रद्धा के भूखे हैं न की आपके द्वारा तैयार किये गये विभिन्न पकवानों के…किसी गरीब बुजुर्ग को भोजन करायें.. यकीन मानिये आपके पितृ बहुत खुश होंगे…. इस बार पितृ पक्ष 16सितम्बर से 30 तक है।
इन दिनों सूर्य कन्या राशी में रहते हैं। इस लिये इस समय को कनागत कहते हैं। केवल हिन्दू धर्म में ही वर्ष में 15 दिनों तक अपने पूर्वोजों को याद किया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति को इन दिनों अपने पूर्वजों को याद करते हुए सात्त्विक जीवन व्यतीत करना चाहिए। साथ ही पितरों के नाम पर तर्पण करना चाहिए। जो भी इन दिनों नियमों का पालन करता है। उसके पितृ उसे आशीर्वाद देते हुए अपने लोक को प्रस्थान करते हैं।