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क्रिकेट मास्टर बोलीं: गरीबी ने क्रिकेट नहीं सर पर तसला ढोने को किया मजबूर

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देहरादून। उत्तराखंड के रामनगर की जानकी मेहरा कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में क्रिकेट खेल चुकी हैं लेकिन गरीबी के आगे आज वह मजदूरी करने को मजबूर है। 2012 में जम्मू में आयोजित अंतरराज्यीय स्कूल टूर्नामेंट में मुकाबले में जानकी ने छत्तीसगढ़ के खिलाफ मैच में 4 विकेट लिए और 25 रन बनाये। इससे पूर्व 2011 में जानकी और उनकी बड़ी बहन अनीता ने नैनीताल टीम से खेलते हुए स्टेट मुकाबले में अल्मोड़ा को भारी अंतर से जीता।

बेहतरीन बल्लेबाजी और गेंदबाजी के दम पर वह उत्तराखंड की टीम से राष्ट्रीय मुकाबलों में खेलनी उतरीं थी। इस दौरान उसकी टीम ने दिल्ली जैसी मजबूत टीम को बड़े अंतर से हराया था। जानकी कहती है कि जीआईसी क्यारी में पढ़ाई के दौरान शिक्षक शैलेंद्र कुमार से सहयोग मिला। इसके चलते वह तीन बार नेशनल खेल सकी। मगर परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने पर उसकी क्रिकेट और पढ़ाई दोनों छूट गईं। अब वह मूक बधिर मां और चार परिजनों को पालने के लिए रोजाना 8-10 घंटे होटलों में मजदूरी कर रही है।

हिन्दुस्तान में छपी खबर के अनुसार, पूर्व क्रिकेटर जानकी मेहरा का कहना है कि- “उत्तराखंड ही नहीं, देश के लिए क्रिकेट खेलने की तमन्ना थी। गरीबी के चलते संभव नहीं हो सका। पिता की मौत के बाद परिवार टूट चुका था। सरकारी मदद मिलती तो क्रिकेट-पढ़ाई दोनों करती। अब मजदूरी कर रही हूं।”

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