नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गोवा की मनोहर पर्रिकर सरकार की तरफ से 88 खदानों के लीज पर जारी किए गए लाइसेंस को रद्द कर दिया है, जिससे मनोहर सरकार को तगड़ा झटका लगा है। इसके अलावा कोर्ट ने बोली की प्रक्रिया के जरिए नए लाइसेंस जारी करने का आदेश दिया है। इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता बनी खंडपीठ ने कहा कि ये लीज, जिन्हें दूसरी बार रिन्यू किया गया था वो सिर्फ 15 मार्च तक ही चलेगी और उसके बाद लाईसेंस की वैधता को रद्द कर दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि खदानों के परमिट को लेकर सरकार की तरफ से रिन्यू करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया कानून का उल्लंघन हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जज की लोकुर की खंडपीठ ने आदेश देते हुए कहा कि इसके लिए एक जांच टीम का गठन किया जाए, जिसमें एक चार्टर्ड एकाउंटेंट को शामिल किया जाने का आदेश कोर्ट ने दिया। कोर्ट का कहना है कि इस टीम के गठन से खदानों के परमिट रिन्यू करने के बाद कंपनी की तरफ से बनाए गए मुनाफे की रिकवरी की जा सकेगी। बताते चलें कि कोर्ट एक पब्लिक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिए जो गोवा फाउंडेशन की तरफ से साल 2015 में दायकर कर खदानों के रिन्यूएल लाइसेंस को रद्द करने की मांग की गई थी।