पूरी दुनिया के लिए मुसीबत बनें कोरोना वायरस का अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बन सका। लेकिन इस बीच दुनियाभर के वैज्ञानिकों के दावे लगातार किए जा रहे हैं कि, कोरोना का इलाज मिल गया है।
लेकिन ये दावे एक मात्र दावे बनकर रह गये हैं। इस बीच गंगाजल से कोरोना सही करने का भी दावा किया जा रहा है।
अब आप सोच रहे होंगे कि, गंगा जल से कैसे कोरोना ठीक होगा । चलिए आपको बतातें हैं ये कैसे संभव हो पाया है?
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने इंडियन मेडिकल रिसर्च काउंसिल यानी ICMR को गंगा के जल पर क्लीनिकल ट्रायल करने के लिए प्रस्ताव भेजा है।
यह प्रस्ताव राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को अतुल्य गंगा नाम की आर्मी वेटरेन्ज की संस्था ने भेजा था जिसे राष्ट्रीय गंगा मिशन ने आईसीएमआर को बढ़ा दिया।
अतुल्य गंगा ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को एक पत्र लिखा था। जिसमें कहा गया था कि गंगा के ऊपरी सतह के पानी में पाए जाने वाले बक्टेरियोफेजेस में बैक्टेरिया के खिलाफ लड़ने की क्षमता है।
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इसीलिए बहुत संभव है कि, कोरोना का इलाज भी गंगा जल से हो सके। क्योंकि इससे पहले भी ये दावे किये जा चुके हैं कि, पेचिश और टीवी जैसे कीटाणु गंगा जल से सही हुए हैं।
गंगा के ऊपरी भाग के पानी में पाए जाने वाले बक्टेरियोफेजेस पाए जाते हैं, जोकि बैक्टेरिया के खिलाफ लड़ने में सक्षम माने जाते हैं।
वहीं कोरोना भी एक वायरस यानि विषाणु है इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि गंगा के पानी से कोरोना का इलाज संभव है।
मगर, क्या सचमुच गंगा नदी का पानी इस वैश्विक बीमारी से लड़ने में दवा की तरह काम कर सकती है, इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए गंगा सफाई मिशन की पहल शुरू हो चुकी है। सरकारी संस्था राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने देश में चिकित्सा रिसर्च की सबसे बड़ी संस्था ICMR को पत्र लिखकर इसकी इजाजत मांगी है।
रिसर्च के जरिए पता लगाया जाएगा क्या वाकई इसके पानी में कोरोना जैसे विषाणुओं को खत्म करने की क्षमता है। बेहरहाल गंगा को लेकर हो दावों पर रिसर्च चल रही है। जिसके उपयोगों के बारे में आने वाले समय में ही पता चल सकेंगी।