नई दिल्ली। प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए मनमोहन सिंह के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर सोमवार को कांग्रेस सदस्यों ने राज्यसभा में जमकर हंगामा किया। जिसके बाद एक बार फिर सदन की बैठक को 12 बजे के बाद पूरे दिन के लिए स्थागित कर दी गई। हंगामे की वजह से न तो सदन में शून्यकाल हो सका और न ही प्रश्नकाल हो सका। सुबह के वक्त बैठक शुरू होते ही कांग्रेस सदस्यों ने गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान मोदी द्वारा सिंह के खिलाफ की गई टिप्पणी का मुद्दा उठाया और उनसे स्पष्टीकरण की मांग की।
वहीं प्रधानमंत्री से माफी की मांग करते हुए सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पूर्व पीएम पर आरोप लगाएं गए हैं। जो इस सदन के सदस्य हैं। पीएम मोदी को अपनी टिप्पणी पर सदन में आकर स्पष्टीकरण देना चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने मोदी का नाम लिए बिना कहा ‘‘आप क्या वोट की खातिर कोई भी आरोप लगा देंगे…आपको आरोप साबित करना चाहिए।’’ कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने कहा कि उन्होंने नियम 267 के तहत सदन का कामकाज स्थगित करने के लिए नोटिस दिया है।
साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री पर लगाए गए आरोपों को गंभीर बताते हुए आजाद ने मांग की कि सदन की भावना को देखते हुए इस मुद्दे पर सदन में एक प्रस्ताव पेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए। उप सभापति पी जे कुरियन ने कहा कि सभापति ने इन नोटिसों को अस्वीकार कर दिया है। कुरियन ने कहा कि अगर सदस्य कोई मुद्दा उठाना चाहते हैं तो वे शून्यकाल के तहत निर्धारित तीन मिनट की अवधि में अपने मुद्दे उठा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सदस्य इस व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हैं तो वे सभापति से इस बारे में विचार विमर्श कर सकते हैं। इस पर विपक्षी सदस्यों ने गहरी नाराजगी जाहिर की। आजाद ने कहा कि हर दिन नोटिस खारिज किए जा रहे हैं जो स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा ‘‘विपक्ष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। अगर हम यहां जनता से जुड़े मुद्दे नहीं उठा सकते तो हमारे यहां आने का मतलब ही क्या है ?’’
इतना ही नहीं उनकी पार्टी के अन्य सदस्यों ने आजाद की बात का समर्थन किया और आसन के समक्ष आ कर नारे लगाने लगे। हंगामे की वजह से उप सभापति पी जे कुरियन ने 11 बज कर करीब 15 मिनट पर बैठक दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी। एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे बैठक शुरू होने पर भी सदन में कांग्रेस सदस्यों का हंगामा जारी रहा। आनंद शर्मा ने एक बार फिर मनमोहन सिंह के खिलाफ टिप्पणी का मुद्दा उठाने का प्रयास किया और मांग की कि प्रधानमंत्री को सदन में आकर स्पष्टीकरण देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सदन के सदस्य के विशेषाधिकार से जुड़ा मामला है। सभापति एम वेंकैया नायडू ने उन्हें यह मुद्दा उठाने की अनुमति नहीं दी और कहा कि यह समय प्रश्नकाल का है। नायडू ने कहा कि नियम 267 के तहत दिए गए नोटिस पर उन्होंने गौर किया तथा उसे खारिज कर दिया है।