बीजिंग। चीन का कहना है कि ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने से भारत में नदी के प्रवाह पर कोई असर नहीं पड़ेगा। चीन ने इसके लिए एक सहायक नदी का बहाव रोकने के अपने कदम को सही बताया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी पूरी तरह चीन में है।
बता दें कि ब्रह्मपुत्र की एक सहायक नदी शियाबुकु पर चीन लालहो बांध परियोजना शुरू कर रहा है। इस पर चीन का कहना है कि यह सहायक नदी पूरी तरह से चीन के इलाके में आती है।
गौरतलब है कि ब्रह्मापुत्र तिब्बत के साथ-साथ भारत के अरुणाचल प्रदेश, असम में बहते हुए बांग्लादेश की ओर जाती है। चीन ने एक अक्टूबर को यह घोषणा की थी कि वह अपनी ‘सबसे महंगी’ बांध परियोजना के लिए तिब्बत में शियाबुकु नदी का जल प्रवाह रोकने जा रहा है।
भारत पर असर:- इस नदी का प्रवाह रोकने से निचले क्षेत्रों में बसे देश जैसे भारत व बांग्लादेश प्रभावित हो सकता है। ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी के पानी का उपयोग भारत और बंग्लादेश की लाखों की आबादी करती है, जिससे दोनों देशों के सामने यह बड़ी चुनौती हो सकती है। हलांकि उसने अपनी पनबिजली परियोजना और बाढ़ नियंत्रण का बहाना लिया है, लेकिन यह अंतर्राष्ट्रीय नियमों और समझौतों के खिलाफ है। इस तरह किसी देश के जलापूर्ति को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है।
क्या सिंधू का है कनेक्शन:- माना ये भी जा रहा है कि चीन ने यह कदम भारत द्वारा सिंधु नदी के अधिक से अधिक पानी के इस्तेमाल के फैसले के मद्देनजर भी उठाया है, जिससे पाकिस्तान प्रभावित होगा। चीन व पाकिस्तान मित्र देश हैं और भारत के खिलाफ कई मुद्दों पर चीन ने पाकिस्तान का खुलेआम समर्थन किया है।