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जस्टिस एम जोसेफ की फाइल को केंद्र ने किया वापस, SC से फिर विचार करने को कहा

Justice M. Joseph जस्टिस एम जोसेफ की फाइल को केंद्र ने किया वापस, SC से फिर विचार करने को कहा

नई दिल्ली। सरकार ने बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम से कहा कि न्यायमूर्ति के एम जोसेफ को शीर्ष अदालत में पदोन्नत करने की अपनी सिफारिश पर पुन: विचार करें। सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने 10 जनवरी को न्यायमूर्ति जोसेफ और सुश्री इन्दु मल्होत्रा को शीर्ष अदालत का न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की थी। फिलहाल जारी MOP के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट का पांच जजों का कॉलेजियम केंद्र के जस्टिस के एम जोसफ की सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर नियुक्ति से इंकार के आधार पर विचार करेगा। अगर कॉलेजियम फिर से अपनी सिफारिश दोहराता है, तो सरकार नियुक्ति के लिए बाध्य होगी। लेकिन सरकार इसमें वक्त ले सकती है क्योंकि पुरानी MOP में समय सीमा नहीं है।

Justice M. Joseph जस्टिस एम जोसेफ की फाइल को केंद्र ने किया वापस, SC से फिर विचार करने को कहा

बता दें कि नई MOP अभी अटकी हुई है क्योंकि केंद्र नियुक्ति में राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर वीटो पॉवर चाहती है। लेकिन कॉलेजियम इस वीटो के लिए तैयार नहीं है। इसलिए नया MOP लागू नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट न्यायिक आदेश के जरिए जस्टिस के एम जोसफ की नियुक्ति करने के आदेश जारी कर सकता है, हालांकि ये कम ही देखने को मिलता है। यह घटनाक्रम वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दु मल्होत्रा को शीर्ष अदालत का न्यायाधीश नियुक्त करने की कॉलेजियम की सिफारिश स्वीकार करने और उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के एम जोसेफ के मामले में निर्णय स्थगित रखने की कार्यवाही के बाद का है।

वहीं न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम को मंजूरी नहीं देने के सरकार के निर्णय पर तीव्र प्रतिक्रिया हुई है और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने इसे ‘परेशानी’ वाला बताया है। जस्टिस केएम जोसेफ़ ने 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के केन्द्र के आदेश को रद्द कर दिया था। जस्टिस केएम जोसेफ़ के मामले में सरकार की चुप्पी को लेकर कई जजों ने सवाल भी उठाए हैं।

साथ ही पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट कर इस मामले में सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि है कि ‘जस्टिस के एम जोसेफ़ की नियुक्ति किस वजह से अटकी हुई है? उनका राज्य या उनका धर्म या फिर उत्तराखंड केस में उनका फ़ैसला? क़ानून के मुताबिक़, जजों की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की सिफ़ारिश ही अंतिम है। क्या मोदी सरकार क़ानून से ऊपर हो गई है?

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