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2019 में होने वाले लोकसभा सभा चुनाव में बीजेपी पर इतिहास दौहराने का दबाव

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नई दिल्ली। 2019 में लोकसभा सभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में बीजेपी पर इतिहास दौहराने का दबाव रहेगा। जिसको लेकर सवाल उठता है कि क्या प्रधानमंत्री उसी रणनीतिकार के साथ दोहारा काम करेंगे जिसने उन्हें 2014 चुनाव में प्राचंड़ बहुमत दिलाई थी। सूत्रों के मुताबिक हाल ही में दोनों दिग्गजों की मुलाकात की है। संभावना है कि एक बार फिर प्रशांत किशोर मोदी के रणनीतिकार बन सकते है।

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बता दें कि पिछेले कुछ सालों में प्रसांत ने अपनी अलग ही पहचान बना ली है। पहले तो 2012 में गुजरात विधानसभा चुनाव और फिर 2014 में लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की जीत के बाद प्रशांत किशोर पर सबकी नजर थी। लेकिन कुछ ऐसे कारण बने की मोदी और प्रशांत की राह लग हो गई। सूत्रों के मुताबिक पिछले छह महीने से एक दूसरे के संपर्क में हैं।

वहीं दोनों के बीच सीधा संवाद हुआ। इस बैठक में लोकसभा चुनाव में मोदी टीम में प्रशांत किशोर की भूमिका पर चर्चा हुई। खबरों के अनुसार प्रशांत किशोर की मुलाकात बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से भी हुई है। आपको बता दें कि 2014 लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर के बीजेपी से अलग होने का कारण अमित शाह और उनके बीच मनमुटाव बताया जा गया था। मोदी और प्रशंत की मुलाकात तो हुए लेकिन फिलहाल अंतिम फैसला नहीं हुआ है।

वहीं किशोर अगर एख बार फइर बीजेपी के साथ काम करते हैं तो जाहिर सी बात है कि वह सीधे पीएम मोदी के प्रचार अभिययान की कमान खुद संभालेंगे। बता दें कि पीएम मोदी एंड टीम से अलग होने के बाद प्रशांत नीतीश कुमार के संपर्क में आए और महागठबंधन के लिए काम किया जिसके आगे खुद बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद साल 2016 में किशोर कांग्रेस से जुड़े। हाल ही में वो आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के लिए काम कर रहे थे।

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