नई दिल्ली। हिंदी सिनेमा के सफलम संगीतकारों में से एक ओपी नैयर का आज जन्मदिन है।उनके जमाने के बनाए हुए गीत आज भी युवाओं को बेहद पसंद आते है।वह बहुत ही अनुशासित संगीतकार थे र अपने काम के प्रति लापरवाही उन्हें बिल्कूल भी नहीं पसंद था।आइये जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े किस्से-
ओपी नैयर को अपने काम में किसी और की दखलअंदाजी बिल्कुल भी पसंद नहीं थी।उनका जन्म 1962 में लाहौर में हुआ था।उनकी जोड़ी संगीत के लिहाज से सबसे ज्यादा शमशाद बेगम के साथ जमी।शमशाद बेगम के जो भी गाने उन्होंने गवाए वो सारे सुपरहिट साबित हुए।
ओपी नैयर ने कभी भी लेजेंडरी गायिका स्वर कोकिला लता मंगेशकर से कोई गाना नहीं गवाया।ऐसा करने वाले वो एकमात्र संगीत कार थे।उनका मानना था कि उनकी द्वारा बनाए गए संगीत लता के लिए उपयुक्त नहीं है।उस समय जब सभी लता जी को सफलता की गारंटी मानते थे तब उन्होंने ऐसा कदम उठाया था।
नैयर साहब की सबसे खास बात ये थी की सुपरस्टार और बड़े सितारे के टैग उनके लिए कोई मायने नहीं रखते थे।शायद यही वजह थी कि उन्होंने उस समय के बड़े-बड़े एक्टर राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, शशि कपूर के लिए कभी संगीत नहीं दिया।उनके गाने सुपरहिट रहे।
उनके सबसे सफल गानों में कभी आर कभी पार, कजरा मोहब्बत वाला, ले के पहला पहला प्यार जैसे गाने शामिल हैं जिन्हें आज भी बड़े चाव से लोग सुनते हैं। ओपी नैयर का रुख सिर्फ हिरो के लिए नहीं बल्कि हिरोइनों के लिए भी साफ था इसलिए उन्होंने कभी हेमा मालिनी, राखी और जीनत के लिए भी कोई संगीत नहीं दिया।
उनका सख्त स्वभाव और काम के प्रति समर्पितता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक बार रफी मोहम्मद गाने गाने के लिए लेट से स्टुडियो पहुंचे तो उन्होंने अपना गाना दूसरे गायक से गवाया।
आशा भोसलें को असली पहचान देने का श्रेय भी ओपी नैयर को जाता है।ओपी नैयर ने आशा की तेज आवाज का पूरा फायदा उठाया। उनके गाने एक बार आकाशवाणी में बैन कर दिए गए थे क्योंकि उनके द्वारा दिए गए कुछ शब्दों पर आकाशवाणी को नाराजगी थी।
ओपी नैयर का करियर शुरु में डगमगाया जरुर, लेकिन एक बार जब उन्होंने संगीत की डोर थामी तो एक के बाद एक जबरदस्त संगीत दिया।उनके व्यवहार को रुखा जरुर समझा गया, लेकिन उनके द्वारा दिए संगीत आज भी सबकी जुबान पर होते हैं।