वाशिंगटन – अमेरिका की वाशिंगटन स्थित स्टेट यूनिवर्सिटी हेल्थ साइंसेज ने एक रिसर्च में ख़ुलासा किया है कि क्यों दिन से ज़्यादा नाईट ड्यूटी करने वाले लोगों को एक विशेष तरह के कैंसर का खतरा रहता है।
नाइट शिफ्ट 24 घंटे की प्राकृतिक लय को करती है प्रभावित –
स्टेट यूनिवर्सिटी हेल्थ साइंसेज ने अपने रिसर्च के दौरान दिन और रात की शिफ्टों में काम करनेवाले स्वस्थ लोगों को शामिल कर जांचा गया। नतीजे से यह निष्कर्ष निकला कि नाइट शिफ्ट 24 घंटे की प्राकृतिक लय को प्रभावित करती है जिससे खास कैंसर से जुड़े जीन सक्रिय हो जाते हैं। धीरे-धीरे यह जीन कैंसर का कारण बनते है। शोधकर्ताओं का कहना है कि नाईट शिफ्ट में काम करनेवालों को डीएनए के नुकसान पहुंचने का खतरा ज्यादा होता जबकि डीएनए की मरम्मत करने वाले तंत्र उस नुकसान की भरपाई करने में नाकाम रहते हैं।
7 दिन की लगातार शोध में आया नतीजा –
बता दे कि शोधकर्ताओं को यह कामयाबी 7 दिन के कठिन परिश्रम के बाद मिलीं। शोधकर्ताओं ने साफ़ किया कि हमारे शरीर के अंदर प्राकृतिक जैविक घड़ी होती है जो 24 घंटे दिन और रात के मुताबिक काम करने वाले तंत्र से लैस होती है। शोधकर्ताओं का विचार था कि उस लय में छेड़छाड़ से कैंसर का खतरा बढ़ता है। इस बात को जांचने के लिए उन्होंने 14 लोगों पर शोध, लैब में एक सप्ताह तक किया। उनमें से 50 फीसद ने 3 दिन तक नाइट शिफ्ट का शेड्यूल पूरा किया, जबकि बाकी को 3 दिन तक दिन के शिफ्ट का हिस्सा बनाया गया। शिफ्टों को पूरा करने के बाद सभी प्रतिभागियों को एक पूरे दिन जगाए रखा गया। इसके अलावा निरंतर रोशनी और कमरे के तापमान पर रखते हुए हर 3 घंटे बाद खून का सैंपल लिया गया। ब्लड सैंपल में लाल रक्त कोशिकाओं के परीक्षण से पता चला कि कैंसर से जुड़ी जीन के लय नाइट शिफ्ट की स्थिति में दिन की शिफ्ट के मुकाबले बहुत अलग थी। साथ ही उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि उनकी खोज नाइट शिफ्ट में काम करनेवाले लोगों में कैंसर का इलाज और रोकथाम में मददगार हो सकती है।