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म्यांमार में सेना ने किया तख्तापलट, सत्ताधारी पार्टी की नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति हिरासत में

WhatsApp Image 2021 02 01 at 2.20.54 PM म्यांमार में सेना ने किया तख्तापलट, सत्ताधारी पार्टी की नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति हिरासत में

नई दिल्ली। दुनिया के किसी न किसी कोने से देशों में बगावती सुर सुनने को मिल ही जाते हैं। इन बगावती सुरों का मतलव देश में हो रही खीचातानी से होता है। इसी बीच आज म्यांमार ने ऐसे ही बगावती सुर सुनने को मिल रहे हैं। जिसके चलते वहां की सेना ने तख्तापलट कर दिया है। इसके साथ ही म्यांमार की सबसे बड़ी नेता आंग सान सू की, राष्ट्रपति विन मिंट और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य वरिष्ठ लोगों को सुबह की छापेमारी में हिरासत में लिया गया है। सत्तारूढ़ पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के एक प्रवक्ता ने सोमवार को इसकी जानकारी दी है। म्यांमार सैन्य टेलीविजन का कहना है कि सेना ने एक साल के लिए देश पर नियंत्रण कर लिया है और सेना के कमांडर-इन-चीफ मिन आंग ह्लाइंग के पास सत्ता जाती है। इसके साथ ही सेना ने एक साल के लिए इमरजेंसी का ऐलान किया है।

देश के अलग-अलग हिस्सों में सेना की टुकड़ियों की तैनाती की गई-

बता दें कि म्यांमार में सेना ने तख्तापलट कर दिया है। जिसके चलते कई बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया है। देश में अभी भी राजनीतिक पार्टियां अपनी जड़े कायम नहीं कर पाई हैं। यहां अभी भी सेना का राज चलता है। पिछले नवंबर में हुए संसदीय चुनाव में सत्ताधारी एनएलडी पर चुनावी धांधली के आरोप लगे थे। इन चुनावों में एनएलडी की बड़ी जीत हुई थी, लेकिन उसकी जीत को तब से संदेह की निगाह से देखा जाता रहा है। म्यांमार की नवनिर्वाचित संसद की पहली बैठक आज प्रस्तावित थी। इससे पहले सेना ने बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया। इसके साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों में सेना की टुकड़ियों की तैनाती की गई है। म्यांमार के मुख्य शहर यांगून में सिटी हॉल के बाहर सैनिकों को तैनात किया गया है। ताकि कोई तख्तापलट का विरोध न कर सके।

सैन्य प्रवक्ता ने कुछ कहने से किया इंकार-

इसके साथ ही पार्टी प्रवक्ता मायो न्यूंट ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया है कि सू की, राष्ट्रपति विन म्यिंट और दूसरे नेताओं को सुबह-सुबह ले जाया गया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम अपने लोगों से कहना चाहते हैं कि वे जल्दबाजी में जवाब न दें और मैं चाहता हूं कि वे कानून के मुताबिक काम करें। उन्होंने ने कहा कि संभावना है कि उन्हें हिरासत में लिया गया है। वहीं दूसरी तरफ सैन्य प्रवक्ता ने इस पर कोई कमेंट करने से इनकार किया है।

म्यांमार में 1962 से 2011 तक रही मिलिट्री जनता की तानाशाही-

इसके साथ ही बता दें कि साल 1962 से लेकर साल 2011 तक देश में मिलिट्री जनता की तानाशाही रही है। साल 2010 में म्यांमार में आम चुनाव हुए और 2011 में म्यांमार में नागरिक सरकार बनी। जिसमें जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को राज करने का मौका मिला। क्योंकि नागरिक सरकार बनने के बाद भी असली ताकत हमेशा आर्मी के पास ही रही। अप्रत्यक्ष रूप से मिलिट्री जनता म्यांमार की पहली शक्ति ही बनी रही।

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