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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2015 की इस स्टेनोग्राफर भर्ती को बताया सही

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2015 की इस स्टेनोग्राफर भर्ती को बताया सही

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की कई अदालतों में लिपिक स्टेनोग्राफर की भर्ती 2015 में निकली थी, जिसमें कुछ समस्या आने के बाद मामला कोर्ट में पहुंच गया। अब इस फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूरी भर्ती को वैध करार दिया है।

टाइपिंग फॉन्ट को लेकर हुई थी शिकायत

इस भर्ती प्रक्रिया में अभ्यर्थियों द्वारा इस्तेमाल किए गए टाइपिंग फॉन्ट को लेकर शिकायत दर्ज हुई थी, जबकि यहां भर्ती टाइपिंग टेस्ट को लेकर थी। ऐसे में अदालत की तरफ से कहा गया कि यदि भर्ती परीक्षा में किसी तरह की अनियमितता नहीं मिली है तो सिर्फ इस आधार पर परीक्षा को रद्द नहीं किया जा सकता। ऐसे में उस पुरानी परीक्षा को ही सही ठहराया जाना ही उचित है।

एकल पीठ ने दिया था रद्द करने का आदेश

इस मामले में एकल पीठ की तरफ से द्वितीय और तृतीय चरण की परीक्षा को फिर से कराने की बात कही गई थी और पुराने परिणाम को रद्द करने का आदेश दिया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उस आदेश को निरस्त कर दिया है, कोर्ट की तरफ से कहा गया कि यह पूरी भर्ती प्रक्रिया सभी निर्धारित नियमों के आधार पर हुई है। इसके साथ ही जिन कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है, उनकी कोई भी शिकायत किसी जिले से नहीं मिली है। ऐसे में यह पूरा मामला निराधार है।

2341 पदों पर भर्ती के लिए हुई परीक्षा

लिपिक स्टेनोग्राफर के 2341 पद खाली थे, जिन्हें भरने के लिए 2015 में लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया था। इस परीक्षा में सफल होने वाले अभ्यर्थियों को टाइपिंग टेस्ट देकर अपनी योग्यता साबित करनी थी, इसी के फॉन्ट को लेकर विवाद सामने आया। जिसके बाद मामला अदालत में चक्कर काटने लगा।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि टाइपिंग टेस्ट में कुल 2220 लोगों ने अपनी किस्मत आजमाई थी, जिसमें से 2300 लोगों को सफल घोषित कर दिया गया। वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि परीक्षा में 0 और -ve अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को भी इसके लिए चयनित कर लिया गया है।

इस फैसले के खिलाफ अपील करने वाले लोगों ने भी अपनी दलील अदालत के सामने रखी। जिसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूरे मामले को सही पाते हुए, एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि एकल पीठ ने 2019 के प्रस्ताव को 2015 की चयन प्रक्रिया में लागू किया है, जो नियमानुसार गलत है।

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