प्रयागराज: बेसिक सहायक शिक्षक बनने की योग्यता को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बड़ा आदेश दिया है। होईकोर्ट ने कहा है कि 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में इंटरमीडिएट के बाद प्रशिक्षण डिग्री लेने वाले भी नियुक्ति पाने के योग्य और हकदार हैं।
‘प्रशिक्षण न होने के आधार पर नियुक्ति देने से इनकार करना गलत’
उच्च न्यायालय ने स्नातक के बाद प्रशिक्षण न होने के आधार पर याची की नियुक्ति देने से इनकार करने को गलत ठहराया है। अदालत ने कहा कि, बेसिक शिक्षा नियमावली के मुताबिक सहायक शिक्षक की नियुक्ति पात्रता 45 प्रतिशत अंक के साथ इंटरमीडिएट की डिग्री और प्रशिक्षण है।
हाईकोर्ट ने कहा, ऐसे में 10+2 के बाद NCTI से मान्य शिक्षा डिप्लोमा धारक को सहायक शिक्षक भर्ती में नियुक्त देने से इनकार करना सही नहीं है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने यह आदेश याची प्रिया देवी की याचिका पर दिया है। अदालत ने याचिका पर फैसला सुनाते हुए अमेठी के बीएसए को याची की नियुक्ति करने का निर्देश दिया है।
इंटरमीडिएट के बाद प्रशिक्षण लेने को दी गई चुनौती
वहीं, याचिका पर एडवोकेट मान बहादुर सिंह ने बहस की। उन्होंने कहा कि, याची का चयन सहायक शिक्षक भर्ती में किया गया। मगर, काउंसिलिंग के बाद नियुक्ति देने से यह कहते हुए मना कर दिया गया कि नियमानुसार स्नातक के बाद प्रशिक्षण मान्य अर्हता है, लेकिन याची ने इंटरमीडिएट के बाद प्रशिक्षण लिया है, जिसे चुनौती दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि, विक्रम सिंह केस में इस मुद्दे पर पहले ही व्याख्या कर दी है। इसके तहत सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति की न्यूनतम अर्हता इंटरमीडिएट के साथ प्रशिक्षण डिग्री है। ऐसे में याची को नियुक्ति देने से इनकार करना सही नहीं है।