लखनऊ। 2019 के आम चुनावों में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए एक-साथ आई सपा-बसपा ने अब अपना साथ और मजबूत बनाने की तरफ एक ओर कदम बढ़ा दिया
है। बीजेपी को हराने के लिए दोनों पार्टियां रणनीति तैयार कर रही हैं। दरअसल आगामी लोकसभा के उपचुनाव में सपा-बसपा के गठबंधन के कारण बीजेपी को अपने गढ़ में हार झेलनी पड़ी थी, जिसका रिटर्न गिफ्ट अब अखिलेश यादव अपनी बुआ मायावती को देंगे।
खबरों के मुताबिक सपा एमएलसी के तौर पर बीएसपी के नेता अंबेडकर का नाम आगे कर सकती है। भीमराव बीते दिनों राज्य सभा चुनाव में बीजेपी के 9वें उम्मीदवार से हार गए थे। अखिलेश तमात कोशिशों के बावजूद उन्हें चुनाव नहीं जिता पाए थे। ऐसे में बुआ को रिटर्न गिफ्ट देने के लिए उनकी प्लानिंग हो सकती है। बता दें कि 5 मई को परिषद की 13 सीटों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। हालांकि, जो वोटों को समीकरण है, उससे सत्ता पक्ष और विपक्ष में संघर्ष के आसार कम हैं।
विधान परिषद की 12 सीटें 5 मई को खाली हो रही हैं। वहीं, सपा से बसपा में गए अंबिका चौधरी के इस्तीफे के चलते एक सीट पहले ही खाली चल रही है। इसमें 7 सीटें सपा, 3 बसपा, 2 भाजपा और एक आरएलडी की है। इन 13 सीटों पर चुनाव की अधिसूचना अगले महीने के पहले हफ्ते में जारी होने के आसार हैं। विधान परिषद चुनाव में विधायकों के लिए राज्य सभा की तरह अपना वोट दिखाने की बाध्यता नहीं होती। इसलिए यहां अपेक्षाकृत अधिक क्रॉस वोटिंग होती है।
फिलहाल 12वीं सीट जिताने भर के वोट न बीजेपी के पास दिख रहे हैं और नही तीसरी सीट जीतने पर माद्दा विपक्ष में दिख रहा है। इसलिए परिषद में घमासान की बजाय निर्विरोध निर्वाचन होने के ही आसार ज्यादा हैं। हालांकि एक बार फिर साथियों को सहेजना आसान नहीं होगा। दूसरी ओर विपक्ष संयुक्त दावेदारी में ही कम से कम 2 सीट जीतने में सफल हो पाएगा। परिषद में सहयोग का वादा भी कसौटी पर होगा।