नई दिल्ली। भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु को इस बात का दुख हो कि खेल के आखरी श्रणों में वो विश्व चैंपियनशिप में नोजोमी ओकुहारा से रोमांचक फाइनल में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक उनके हाथ से निकल गया। दोनों की खिलाड़ियों ने एक दीसरे को बराबर की टक्कर दी। जिसे कई विशेषज्ञयों ने महिला एकल के सर्वश्रेणी के मैचों में से एक माना है। जापानी खिलाड़ी इस रोमांचक मैच में 21-19, 20-22, 22-20 से जीत दर्ज करने में सफल रही। जब दोनों खिलाड़ी 20-20 की बराबर में थी तो उस दौरान सिंधु ने अपनी गलती से एक अंक गवा दिया। जब भी कोई खिलाड़ी चैंपियनशिप में उतरता है तो अपने अंदर स्वर्ण पदक की इच्छा लेकर उतरता है। सिंधु का कहना है कि मैं बहुत दुखी हूं कि पदक को इतने करीब जाकर उसे हासिल करने में चुक गई।
बता दें कि सिंधु का कहना है कि मैं लंबे समय तक खेल को खिचने के लिए तैयार थी। लेकिन लगता है ये दिन मेरा नहीं था। काफी लंबे वक्त तक चले इस मैच को लेकर सिंधु का कहना है कि ये काफी थका हुआ था। वहीं सिंधु का कहना है कि मुझे इस बात की भी खुशी है कि मैं देश के लिए रजत पदक जीतने में सफल रही। इससे मुझे काफी आत्मविश्वास मिला है और मैं भविष्य में और खिताब जीतूंगी।’ विश्व चैंपियनिशप में अब कुल तीन पदक जीतने वाली इस भारतीय खिलाड़ी ने कहा कि प्रारूप और स्कोंरिग प्रणाली में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है। सिंधू ने कहा, ‘मुझे लगता है कि 21 अंक की प्रणाली अच्छी है। इसमें लंबी रैलियां देखने को मिलेंगी तथा इसे 30-40 मिनट तक सीमित रखना संभव नहीं होगा।