धर्म

मंदोदरी और रावण के विवाह का साक्षी है ये मंदिर जाने खबर में पूरा इतिहास

rawan and madodri1 मंदोदरी और रावण के विवाह का साक्षी है ये मंदिर जाने खबर में पूरा इतिहास

नई दिल्ली। सावन का महीना हो और भोलेनाथ के जयकारे ना गूंजे ऐसा भला कहां हो सकता है। इस वक्त सावन पूरे शबाब पर है। चारों ओर जयबम भोले के जयकारे लग रहे हैं। इस महीने में बड़ी संख्या में भोले नाथ के श्रद्धालु कांवड़ लेने जाते हैं। लेकिन भोलेनाथ का एक बडा जुड़ाव मेरठ से भी है। मेरठ के कैंट सदर थाने के पास एक ऐसा मंदिर है जो कि रामायण के समकालीन होने का बड़ा इतिहास रखता है। इसके साथ ही रामायण के एक बड़े पात्र से भी जुड़ा है ये मंदिर जहां पर भोलेनाथ की परम कृपा रहती है।

rawan and madodri1 मंदोदरी और रावण के विवाह का साक्षी है ये मंदिर जाने खबर में पूरा इतिहास

मान्यता है कि मयदावन की एक कन्या थी जिसका नाम मैराष्ट्र था वह रोज इसी शिव मंदिर में भगवान भोलेनाथ की आराधना करने के लिए आती थी। उसकी तपस्या और आराधना से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उसे इस संसार के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति से शादी करने का वरदान दिया था। इसी मंदिर में एक दिन उसकी मुलाकात लंकाधिपति रावण से हो गई । इसी मंदिर में उन दोनों के बीच प्रेम प्रसंग शुरू हुआ । जो कि इसी मंदिर में विवाह के फलस्वरूप बदल भी गया।

rawan and madodri2 मंदोदरी और रावण के विवाह का साक्षी है ये मंदिर जाने खबर में पूरा इतिहास

मंदिर के पुजारी पवन गर्ग की माने तो मंदोदरी के प्राचीन नाम मैराष्ट्र पर ही मेरठ का नामकरण हुआ है। रावण और मंदोदरी ने इसी स्थान पर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक कर पूजन किया था। इस मंदिर में रावण भोलेनाथ की आराधना के लिए आया करता था । जहां पर मंदोदरी से मुलाकात हुई थी। जिसके बाद दोनों का विवाह भी इसी मंदिर में भगवान भोलेनाथ के समक्ष संपन्न हुआ था।

rawan and madodri मंदोदरी और रावण के विवाह का साक्षी है ये मंदिर जाने खबर में पूरा इतिहास

मान्यता है कि मंदिर के पास स्थित भैसाली मैदान उस वक्त में सरोवर हुआ करता था। जहां मंदोदरी नहाने के बाद मंदिर में जाया करती थी। वही सावन के महीने सैकड़ों की संख्या में भगवान भोले नाथ के श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामना करने आते हैं। मान्यता है कि यहां आकर भोले नाथ से कुछ भी मांगों तो अपने भक्तों की इच्छा भोले नाथ जरूर पूरी करते हैं। आज भगवान भोलेनाथ की सावन में शिवरात्रि के अवसर पर मंदिर परिसर में महाकाल की विशेष पूजन और अर्चन की व्यवस्था की गई थी।

Related posts

शरादीय नवरात्र 2021: कल से शुरू होंगे शरादीय नवरात्र, जानिए, कलश स्थापना और घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

Saurabh

Aaj Ka Panchang: जानें 06 अगस्त 2022 का पंचांग, नक्षत्र और राहुकाल का समय

Rahul

Navratri 2021: व्रत करने से पहले जरुर करें ये काम, जीवन में बरसेगा सुख

Kalpana Chauhan