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भारत रूस के बीच परमाणु उर्जा समझौते पर टिकी दुनिया की नजर

pmmodi भारत रूस के बीच परमाणु उर्जा समझौते पर टिकी दुनिया की नजर

तिरुवनंतपुरम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रूस के दौरे पर राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के साथ भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस के सेंट पीटर्सबर्ग पहुंच चुके हैं, एस शिखर सम्मेलन में दोनों देश कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे। पीएम मोदी के इस रूस दैरे को लेकर फिलहाल सबकी निगाहें भारत के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र की अंतिम दो इकाइयों के लिए रूस की मदद से जुड़े करार पर हैं। पीएम मोदी ने ट्वीट कर पीटर्सबर्ग पहुंचने की जानकारी दी। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनकी इस यात्रा से भारत-रूस के रिश्ते मजबूत होंगे।

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बता दें पीएम मोदी रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम (SPIEF) में शामिल होंगे। भारत के लिए ये पहला मौका है जब भारत किसी बिजनेस कार्यक्रम में हिस्सा ले रहा है। बृहस्पतिवार को भारत-रूस वार्षिक समिट शुरू होने से कुछ घंटे पहले भारतीय अधिकारियों ने बताया कि तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की इकाई 5 और 6 के निर्माण के लिए ऋण सहायता पर समझौते के विवरण और भाषा को लेकर अंतिम दौर की बातचीत चल रही है।

दोनों देशों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी, रेलवे, सांस्कृतिक आदान-प्रदान समेत अन्य क्षेत्रों में 12 समझौतों पर दस्तखत हो सकते हैं। दोनों नेता एक विजन डॉक्यूमेंट भी जारी करेंगे। हालांकि 18वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में दोनों देशों का फोकस परमाणु समझौते पर दस्तखत को लेकर है। इस समझौते पर भारत और रूस के अलावा दुनिया भर के देश निगाह गड़ाए हुए हैं। इससे पहले अक्तूबर 2016 में गोवा में द्विपक्षीय सम्मेलन में भी यह केंद्रबिंदु था। अगर यह करार हो जाता है, तो एक-एक हजार मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता वाली दोनों ईकाइयां देश में परमाणु ऊर्जा उत्पादन को महत्वपूर्ण तरीके से बढ़ाएंगी।

वहीं अक्तूबर 2015 में मोदी और पुतिन के एक संयुक्त बयान में दिसंबर 2016 तक परमाणु इकाइयों पर जनरल फ्रेमवर्क समझौते का वादा किया गया था। अंतर-मंत्रालयी समूह की मंजूरी के बाद इसे स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा गया, लेकिन रूस की ओर से दिए जाने वाले क्रेडिट प्रोटोकॉल (आर्थिक मदद) अवरोध साबित हो रहा है। इसके अलावा हाल ही में पाकिस्तान और चीन के साथ रूस की करीबी बढ़ी है, जिसके चलते भारत के पारंपरिक दोस्त रूस के आर्थिक रिश्ते जटिल हुए हैं। अब देखने यह है कि मोदी का रूस दौरा किया रंग लाता है?

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