नई दिल्ली। सेना युद्ध क्षेत्रों में अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है, इस मामले में उसे सांसदो या किसे पूछने विचार विमर्श करने की जरूर नहीं है। ये बात रक्षामंत्री अरूण जेटली ने तब कही जब कश्मीर में एक पत्थरबाज युवक को सेना के मेजर ने जीप पर बांध पर घुमाया। जिसका वीडियो वायरल होने के बाद लगातार प्रतिक्रियाएं आने लगी थी। जिसके चलते सेना ने जांच भी की और मेजर को दोष मुक्त कर दिया। इसके बाद मेजर के सम्मान को लेकर फिर एक बड़ा विवाद घाटी से लेकर राजनीति के गलियारों तक उठ खड़ा हुआ है।
इसके बाद रक्षामंत्री अरूण जेटली ने बोलते हुए कहा कि इस मामले को ज्यादा तूल देना गलत है। सेना को युद्ध क्षेत्र में शांति के लिए जो कदम उठाना था वो उठाती है। इसके लिए उसे किसी से विचार विमर्श करने की जरूर नहीं है। सैन्य समाधान, सैन्य अधिकारी ही करते हैं। युद्ध जैसे हालात में आप कैसे निपटेंगे इसके लिए आप स्वतंत्र रहते हैं।
सेना को युद्ध की स्थितियों में क्या निर्यण लेना है और क्या करना है इसके लिए सेना खुद से निर्यण लेती है तो किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। सेना की ओर से घाटी में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए। इसके साथ ही सेना सीमा पर जिस तरह से पाक को जबाब दे रही है उसकी प्रशंसा होनी चाहिए।