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रेप के आरोपी गायत्री प्रजापति को जमानत देने वाले जज सस्पेंड

gayatri prajapati 1 1 रेप के आरोपी गायत्री प्रजापति को जमानत देने वाले जज सस्पेंड

लखनऊ। रेप के आरोप में फंसे यूपी सरकार के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को पोक्सो एक्ट में जमानत देने वाले जज को सस्पेंड कर दिया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल डीके सिंह की ओर से जज के निलंबन की पुष्टि करते हुए कहा गया है कि गायत्री प्रजापति को पोक्सो एक्ट के तहत जमानत देने वाले ओमप्रकाश मिश्रा को सस्पेंड कर दिया गया है।

gayatri prajapati 1 1 रेप के आरोपी गायत्री प्रजापति को जमानत देने वाले जज सस्पेंड

उन्होंने ये भी बताया कि ओमप्रकाश के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं। इस मामले की जांच हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सुधीर अग्रवाल करेंगे। इस मामले की जांच को 30 अप्रैल तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जांच ओमप्रकाश के रियाटरमेंट से पहले होनी है और वो 30 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं।

मुख्य न्यायधीश ने की टिप्पणी

गायत्री प्रजापति को जमानत देने के मामले में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दिलीप बाबासाहेब भोसले पहले ही ओमप्रकाश के खिलाफ तल्ख टिप्पणी कर चुके हैं। भोसले ने इससे पहले कहा था कि गायत्री के मामले में खुद सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी हुई। जांच के दौरान एक बेहद गंभीर मामले में आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश जल्दबाजी में लिया गया फैसला है।

रेप के आरोपी प्रजापति

एक महिला ने गायत्री प्रजापति पर विधानसभा चुनाव से पहले गैंगरेप का आरोप लगाया था। यूपी पुलिस के मामला दर्ज न करने पर पीड़िता तो सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने गायत्री के खिलाफ मामला दर्ज किया और उसके कई दिनों बाद उन्हें गिरफ्तार किया। तब से गायत्री प्रजापति जेल में बंद थे।

फर्श से अर्श तक का सफर

एक मंत्री होने के बाबजूद चंद सालों में फर्श से अर्श तक का सफर तय करने वाले गायत्री प्रजापति ने करोड़ों की सपंत्ति यूं ही नहीं इकट्ठा कर ली बल्कि इसके पीछे एक बहुत लंबी कहानी है। इस कहानी में जितनी उनकी मेहनत है उतना ही यादव परिवार, या यूं कहें कि मुलायम सिंह यादव का सहयोग है। गायत्री को करीब से जानने वालों का कहना है कि वो साल 2002 तक उनकी और उनके परिवार की स्थिति ये थी कि वो बीपीएल कार्ड धारक थे यानी ग़रीबी की रेखा से नीचे आते थे।

आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2002 में हुए विधानसभा चुनावों में गायत्री ने चुनाव लड़ने के लिए जो हलफनामा दिया उसमें उन्होंने अपनी संपत्ति कुछ हजार रुपये बताई थी। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनावों तक उनके पास करोड़ों की जायदाद इकट्ठा हो गई अब जिसका आंकलन करना भी मुश्किल है।

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