नई दिल्ली। कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक को गंभीर बहस के बाद ही पारित किया जाना चाहिए। क्योंकि यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि इसे आम सहमति के आधार पर पारित किया जाए। राज्यसभा में बहस में हिस्सा लेते हुए चिदंबरम ने कहा, “हम इसे गंभीर बहस के आधार पर पारित करें। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि इस कानून को आम सहमति के साथ पारित किया जाए।”
पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री चिदंबरम ने कहा कि वस्तु एवं सेवाकर विधेयक का विचार इससे पहले की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने वर्ष 2005 में लाया था। उन्होंने कहा, “इस विधेयक ने पारित होने के चरण तक पहुंचने में 11 साल ले लिए।”
इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस विधेयक को पेश किया। इसे स्वतंत्रता के बाद भारत का सबसे बड़ा कर सुधार कानून माना जा रहा है। यह विधेयक लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा में लंबित था।