नई दिल्ली। हाल ही में एक शोध में पता चला है कि पेट की बीमारियों के लिए लेने वाली दवाओं से जीवाणु संक्रमण की संभावनाएं बढ़ती हैं। ऐसे लोग जो छोटी बड़ी पेट संबंधी बीमारियों के लिए दवाओं का इस्तेमाल करते हैं उनमें संक्रमण हो सकते हैं जो आगे चलकर दस्त, बड़ी आंत में संक्रमण आदि बीमारियों का खतरा हो जाता है। शोधकर्ताओं में एक भारतीय मूल के शोधकर्ता भी शामिल हैं। क्लोस्ट्रिडियम डिफिसिले कोलाइटिस (सी-डिफ) के संक्रमण से बड़ी आंत में सामान्य स्वस्थ जीवाणुओं का विघटन होता है।यह अक्सर एंटीबायोटिक्स के परिणामस्वरूप होता है।
निष्कर्षो से पता चलता है कि सी-डिफ वाले मरीजों में पेट में गैस बनने को रोकने के लिए दी जाने वाली दवाओं से सी-डिफ का खतरा बढ़ जाता है।अमेरिका के गैर लाभकारी बायो क्लिनिक के गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट साहिल खन्ना ने कहा कि शोध में पाया गया कि पेट में गैस बनने से रोकने की दवाओं से मरीजों में सी-डिफ के मामलों का जोखिम बढ़ जाता है।
इस शोध का प्रकाशन जामा इंटर्नल मेडिसिन में किया गया है. इसमें शोध दल ने 7,703 मरीजों के सी-डिफ के 16 शोधों का अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने पेट में गैस बनने से रोकने वाली दवाओं का विश्लेषण किया। इसमें ओपेराजोल, हिस्टामाइटन 2 रानिटिडाइन जैसे दवाएं आम तौर पर दी जाती है।