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शिवरात्रि पर कैसे मनाएं भोले नाथ को

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जिसका का ना कोई आदि है और ना ही कोई अंत वो है भगवान शिव। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर हर व्यक्ति अपने हिसाब से शिव की अराधना करता है। कोई फूल-जल चढ़ाकर, मंदिरों के फेरे लगाकार भगवान शिव को प्रसन्न करता है तो कोई भांग और धतूरा चढ़ाकर शिव को प्रसन्न करना चाहता है।

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इतना ही नहीं शिवरात्रि के दिन शिव मंदिरों में भक्तों की लंबी-लंबी कतारे लग जाती हैं। श्रृद्धालु कोसों की दूरी तय करके मंदिर में जल चढ़ाने जाते हैं लेकिन अगर आप अपने घर में ही शिव की पूजा करते हैं तो आपको पूजन की कुछ ऐसी विधियों को अपनाना है जो करने में तो आसान है ही साथ ही फलदायी भी है।

पूजा की सामग्री

उपवास की पूजन सामग्री में जिन वस्तुओं को प्रयोग किया जाता हैं, उसमें पंचामृ्त (गंगाजल, दुध, दही, घी, शहद), सुगंधित फूल, शुद्ध वस्त्र, बिल्व पत्र, धूप, दीप, नैवेध, चंदन का लेप को पूजा सामग्री में शामिल करना चाहिए।

व्रत की महिमा

इस व्रत के विषय में यह मान्यता है कि इस व्रत को जो जन करता है, उसे इस जन्म में सभी तरह के सुख प्राप्त होते हैं साथ ही अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत सभी पापों को खत्म करने वाला है व इस व्रत को लगातार 14 वर्षो तक करने के बाद विधि-विधान के अनुसार इसका उद्धापन कर देना चाहिए।

व्रत की विधि

महाशिवरात्री व्रत को रखने वालों को उपवास के पूरे दिन, भगवान भोले नाथ का ध्यान करना चाहिए। अगर वो पूरे दिन भगवान भोले नाथ का ध्यान नहीं कर सकता तो उसे सुबह सवेरे उठकर स्नान करने के बाद भगवान शिव को जलाभिषेक करके भस्म का तिलक लगाकर रूद्राध की माला पहननी चाहिए। माला पहनने के बाद भगवान शिव को फूलों की माला और अन्य सामग्री चढ़ानी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि शिवरात्रि के दिन ऐसा करने से भगवान शिव खुश होते हैं।

शास्त्रों के अनुसार इस व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है। प्रत्येक पहर की पूजा में “उँ नम: शिवाय” व ” शिवाय नम:” का जाप करते रहना चाहिएय़ अगर शिव मंदिर में यह जाप करना संभव न हों, तो घर की पूर्व दिशा में, किसी शान्त स्थान पर जाकर इस मंत्र का जाप किया जा सकता हैं।

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