नई दिल्ली। कावेरी जल बंटवारे के मामले पर तमिलनाडु सरकार को एक सप्ताह के अंदर साक्ष्यों की सूची कोर्ट में पेश करने के निर्देश मिले हैं। तमिलनाडु सरकार ने कर्नाटक से पानी न मिलने के बदले भारी-भरकम हर्जाने की मांग की जिसके बाद कोर्ट ने तमिलनाडू सरकार ने पानी न मिलने की वजह से प्रभावित किसानों की सूची सौंपने के आदेश दिए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी से इस मामले की रोजाना सुनवाई करने का फैसला किया है । पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो कावेरी मसले का हल सात फरवरी के बाद तीन हफ्ते में करेगी । ये मसला करीब दो दशक पुराना है । कोर्ट ने ये भी कहा था कि वो ये मामला कावेरी वाटर ट्रिब्युनल के पास नहीं भेजेगा।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अंतरिम आदेश को जारी रखने का आदेश दिया था । कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि कर्नाटक को 2000 क्यूसेक पानी तमिलनाडु को देना होगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि कावेरी जल बंटवारे को लेकर कावेरी ट्रिब्युनल अवार्ड के खिलाफ अपील की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की इस अर्जी को खारिज कर दिया था कि सुप्रीम कोर्ट ट्रिब्युनल के अवार्ड को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई नहीं कर सकता ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उसके पास ये अधिकार है कि वो ट्रिब्युनल के अवार्ड के खिलाफ अपील पर सुनवाई करे।
सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार और अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को संवैधानिक पीठ के समक्ष भेजा जाना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड के गठन का आदेश नहीं दे सकता क्योंकि ये काम संसद का है।