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माओवादियों की समर्थन वापसी से अल्पमत में नेपाल सरकार

Oli माओवादियों की समर्थन वापसी से अल्पमत में नेपाल सरकार

काठमांडू। पुष्प कमल दहाल प्रचंड के नेतृत्व वाले सीपीएन(माओवादी सेंटर) ने अचानक मंगलावर को नेपाल में सत्तारूढ़ के.पी. शर्मा ओली की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। इसके कारण सरकार अल्पमत में आ गई है।

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पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई, जिसमें केवल नौ महीने पुरानी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी(एकीकृत माओवादी -लेनिनवादी) नीत सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया गया। हिमालयी देश में एक नए संविधान लागू होने के कुछ दिनों बाद ही यह सरकार बनी थी।

बाद में एक बयान जारी कर दहाल ने कहा, “मैंने सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया है।”

दहाल ने कहा कि पार्टी के फैसले से राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी, प्रधानमंत्री ओली और प्रतिनिधि सभा (नेपाली संसद) की अध्यक्ष ओनसारी घारती को अवगत करा दिया गया है।

समर्थन वापस लेने का पत्र ग्रहण करने के बाद प्रधानमंत्री ओली ने दहाल को नई सरकार के लिए बधाई दी। हालांकि सूत्रों का मानना है कि ओली की यह व्यंगात्मक टिप्पणी है।

पुष्प कमल दहाल की पार्टी सीपीएन(माओवादी सेंटर) और ओली की सीपीएन (यूएमएल) के बीच दूरियां तब से बढ़ रही हैं, जब गत मई महीने में माओवादियों को देश की मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस से समर्थन हासिल हो गया था। उस समय दहाल ने उनके नेतृत्व में ओली को सरकार में शामिल होने के लिए कहा था।

हालांकि एक दिन बाद दहाल ने अपना मन बदल दिया और वाम नीत और वाम बहुल सरकार को नहीं गिराने का फैसला किया। उन्होंने ओली को सम्मानजनक ढंग से पद छोड़ने और बाद में अपने उत्तराधिकारी के रूप में दहाल का समर्थन करने के लिए समय दिया।

नेपाल में नए गठबंधन के लिए राजनीतिक पार्टियों के साथ हो रही बातचीत पर राजनीतिक पर्यवेक्षकों की पैनी नजर है, क्योंकि सीपीएन ने कहा है कि देश में आम सहमति की राष्ट्रीय सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करने के लिए मौजूदा सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया गया है।

गत पांच मई को जब प्रचंड ने ओली को सरकार छोड़ने का एक निष्फल नोटिस दिया था, उस समय उन्हें संयुक्त लोकतांत्रिक मधेसी मोर्चा का भी समर्थन प्राप्त था। गत 20 सितम्बर को संविधान की घोषणा होने बाद मधेसी मोर्चा ने ओली सरकार के खिलाफ पांच महीने तक आन्दोलन किया था।

अगर ओली अपने पद से त्याग पत्र देते हैं तो सात वर्ष बाद फिर प्रधानमंत्री बनने के लिए दहाल की राह आसान हो जाएगी।

(आईएएनएस)

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