देहरादून। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली के बाद उत्तराखण्ड की सियासत गर्मा गई है। मोदी द्वारा जनसभा के दौरान सवाल उठाए जाने के बाद हरीश रावत ने जवाब देते हुए कह ाकि इस विषय में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय जांच करवाई जा चुकी है। जिसमें ये सब बातें तथ्यात्मक नहीं पाई गई। आपदा के समय देशभर के लोगों ने हमें सहायता दी है क्योंकि प्रधानमंत्री ने ये बात कही है, इससे देशभर में हमारी ये छवि खराब हो सकती है।
उन्होंने कहा कि एक बात, ‘मैं एक बात बहुत स्पष्ट कहना चाहता हूं कि दैवीय आपदा जैसी घटनाएं आकस्मिक होती हैं और ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए त्वरित फैसले लेने होते हैं।’बीजापुर हाउस में बुधवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आरटीआई के आधार पर सूचना आयुक्त द्वारा जो टिप्पणियां की गईं, उनमें इन सब बातों का सम्भवतः संज्ञान नहीं लिया गया। वर्ष 2013 की दैवीय आपदा राज्य के अत्यधिक दुरूह क्षेत्रों में आई थी। उन स्थितियों में काम करना बहुत चुनौतिपूर्ण था। हमारा उद्देश्य आपदा के घावों को भरना, चारधाम यात्रा व पर्यटन को दोबारा पटरी पर लाना था। मुख्यमंत्री के तौर पर मेरा प्रारम्भिक दायित्व था कि चुनौतिपूर्ण माहौल में काम करने वालों का मनोबल बढ़ाया जाए।
सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री की टिप्पणियों से एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है, इसलिए हमने हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त जज एम.एस. चौहान से इस मामले की न्यायिक जांच करने का अनुरोध किया है। इसमें देखा जाएगा कि क्या संदर्भित मामले में कोई लापरवाही हुई है। क्या इन मामलों में दैवीय आपदा मद से धन का दुरुपयोग हुआ है।
चार धाम यात्रा पर ये बोले हरीश रावत
मुख्यमंत्री ने चारधाम राजमार्ग विकास परियोजना के बारे में बोलते हुए कहा कि हमारी पहली आपत्ति इसका प्रचार आॅल वेदर रोड के रूप में किए जाने पर थी। क्योंकि इससे ये संदेश जा रहा था कि उत्तराखण्ड की सड़कें यात्रा के लायक नहीं है। हमारी इसी आपत्ति को केंद्रीय मंत्रालय द्वारा स्वीकार करके इसे चारधाम राजमार्ग विकास परियोजना का नाम दिया गया है।