कोलकाता। स्वास्थय के क्षेत्र में एक नवीन तकनीक का विकास हुआ है जिससे आंखो के इलाज और बीमारी का पता लगाने में काफी मदद मिलेगी। इस तकनीक के विकास के बाद साफ्टवेयर की सहायता से स्वस्थ और रोगग्रस्त रेटिना के बीच के अंतर का भी पता लगाया जा सकेगा। इस तकनीक के द्वारा आंखों की बीमारियों की पता समय पर लगाकर उसका उपचार किया जा सकेगा।इसके अलावा इस रेटिना की जांच के लिए स्मार्टफोन आधारित एप के निर्माण में भी मदद मिलेगी।
ओसीटी की इमेज के माध्यम से रेटिना के प्रत्येक स्तर को साफ तौर पर देखा जा सकता है, जिससे नेत्ररोग विशेषज्ञ को रेटिना के आकार को मापने में आसानी होगी। इस विश्लेषण से ग्लूकोमा तथा रेटिना से संबंधित बीमारियों का निदान करने तथा उनके इलाज में मदद मिलती है। आई आई एस ई आर-कोलकाता के एन.के.दास ने ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि ”बीमारी के शुरूआती दौर में रेटिना के आकार में आने वाले बदलाव का पता लगाने में ये तकनीक काफी मददगार होगी। इस तकनीक के विश्लेषण से यह कमी दूर हो जाती है और बीमारी का पता शुरुआती दौर में ही चल जाता है।”