लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनावी रण में उतर सकती है, इसकी सुगबुगाहट तेज हो रही है। अखिलेश यादव का कहना है कि कांग्रेस के नेता लगातार संपर्क बनाए हुए है। उन्होंने साफ किया कि कांग्रेस के साथ गठबंधन का फैसला उनका नहीं होगा, लेकिन गठबंधन का सबसे ज्यादा फायदा सपा को ही होगा।
दरअसल पिछले चुनावों में कांग्रेस की बुरे हालातों के मद्देनजर कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पहले से ही सपा के साथ चुनावी गठबंधन करने की योजना बनाकर पार्टी की दुर्दशा को सही करने का प्लान बना लिया है। इसके लिए प्रशांत किशोर ने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से बातचीत का दौर भी शुरू कर दिया। हालांकि बातचीत कितनी सफल रही इसके बारे में कह पाना मुश्किल है।
पिछले यूपी चुनावों में कांग्रेस की हुई बुरी तरह हार
साल 2002 में हुए चुनावों में कांग्रेस के 402 उम्मीदवारों में 334 की जमानत जब्त हो गई थी, जबकि साल 2007 में कांग्रेस के 393 उम्मीदवारों में से 323 अपनी जमानत नहीं बचा सके थे। 2012 के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस के 355 उम्मीदवारों में से 240 की जमानत जब्त हो गई थी। ऐसे में इस बार के चुनावों में कांग्रेस कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है।
सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन होगा या नहीं इस बारे में कांग्रेस की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। वहीं, दूसरी तरफ सपा के लिए मुस्लिम वोटरों को लुभाने की चुनौती है। पार्टी लगातार कोशिश कर रही है कि मुस्लिम वोटर उसकी ओर आकर्षित हो लेकिन कोशिश कितनी सफल होगी इस बात का पता तो आगामी विधानसभा चुनावों में ही चलेगा।
यही कारण है कि सपा ने कांग्रेस के साथ करीबी दिखानी शुरू कर दी है। अखिलेश ने जो आधिकारिक बयान में कहा गया कि सपा दोबारा राज्य में अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं हैऔर अगर वह कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ती है तो उसे 300 से ज्यादा सीटे हासिल होंगी।