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Sawan 2023: आज से सावन के 16 सोमवार व्रत शुरू, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधा

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mebv सावन का महीना भोलेनाथ को समर्पित है। 10 जुलाई यानी सोमवार को सावन का पहला सोमवार है। सावन के सोमवारों का खास महत्व होता है। इस दिन किए गए प्रयासों से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

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पौराणिक मान्यता है कि सबसे पहले ये व्रत माता पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था। शिव पुराण के अनुसार 16 सोमवार व्रत शुरू करने के लिए सावन सबसे उत्तम महीना माना जाता है। आइए जानते हैं सोलह सोमवार व्रत कब से शुरू करें, सामग्री और पूजा विधि

सोलह सोमवार व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त
सावन के पहले सोमवार का अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक है। सावन के पहले सोमवार पर शाम की पूजा का शुभ महूर्त शाम को 5 बजकर 38 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक है। ऐसी मान्‍यता है कि शाम के वक्‍त में रुद्राभिषेक करने से शिवजी सभी कष्‍टों को दूर करते हैं।

सोलह सोमवार व्रत की सामग्री
सोलह सोमवार व्रत में शिवलिंग, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर), जनेऊ, दीप, धतूरा, इत्र, रोली, अष्टगंध, सफेद वस्त्र, बेलपत्र, धूप, पुष्प, सफेद चंदन, भांग, भस्म, गन्ने का रस, फल, मिठाई, मां पार्वती की 16 श्रृंगार सामग्री (चूड़ी, बिंदी, चुनरी, पायल, बिछिया, मेहंदी, कुमकुम, सिंदूर, काजल आदि।

सोलह सोमवार व्रत की पूजा विधि

  • सोमवार व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।
  • साफ, धुले कपड़े पहनकर महादेव के 16 सामने व्रत का संकल्प लें।
  • व्रत का संकल्प लेते समय शिव जी के इस मंत्र का जाप करें।
  • ऊं शिवशंकरमीशानं द्वादशार्द्धं त्रिलोचनम्। उमासहितं देवं शिवं आवाहयाम्यहम्॥
  • शाम को स्त्रियां सोलह श्रृंगार कर प्रदोष काल में शिव जी का अभिषेक करें।
  • घर या मंदिर में शिवलिंग पर जल में गंगाजल डालकर जलाभिषेक करें। फिर पंचामृत शिव को चढ़ाएं।
  • सफेद चंदन से शिवलिंग पर दाएं हाथ की तीन अंगुलियों से त्रिपुण बनाएं, अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें।
  • देवी पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं और धूप-दीप, भोग लगाकर सोमवार व्रत की कथा का श्रवण करें।
  • सोलह सोमवार व्रत में आटे, गुड़ और घी से चूरमा बनाकर भोग लगाया जाता है। इसके तीन हिस्से कर शिव जी को चढ़ाएं।
  • अंत में शिव जी के मंत्रों का जाप, शिव चालीसा पाठ आदि कर आरती कर दें। अब प्रसाद का पहला हिस्सा गाय को दें, दूसरा खुद खाएं और तीसरा अन्य लोगों में बांट दें।

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