भारत में मौसम का रुख तय करने में मानसून का अहम योगदान है। हवा मानसून बनाती है, जो लगातार बदल रही है। इस कारण भारत का मौसम उग्र होता जा रहा है। आखिरकार हवा में ये बदलाव कहां से आया है और भारत पर इसका क्या असर होगा ।
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क्या कह रहे हैं मानसून विशेषज्ञ
अगर आप बीते 4 से 5 सालों पर गौर करें तो सूखा, बाढ़ बढ़ रहे हैं और सर्दियों की शीतलहर घट रही है। यह कहना है इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के मानसून सिस्टम के प्रो. एंड्रयू टर्नर का। प्रो. टर्नर भारतीय मानसून के विशेषज्ञ हैं। पहाडों पर इन दिनों ठंड कोहरे और बर्फ का मिला जुला अटैक हो रहा है। हिमाचल से कश्मीर और उत्तराखंड तक हर जगह बर्फबारी हो रही है। देवभूमि उत्तराखंड में शनिवार रात से बर्फ गिर रही है। ऊंचे इलाकों में बर्फ तो निचले इलाकों में बारिश हो रही है।
भारी बर्फबारी से जनजीवन पर असर
सैलानियों के चेहरे खिल गए हैं लेकिन बर्फबारी के इस लंबे दौर से जनजीवन पर असर पड़ा है। हिमाचल प्रदेश और उत्तरकाशी में पहाडों पर हुई बर्फबारी में सैलानियों झूमते नजर आ रहे हैं, पहाडों पर बर्फीले नजारे देखने गए सैलानी तो बेहद खुश हैं लेकिन स्थानीय प्रशासन के लिए इंतजाम बनाए रखना मुश्किल हो रहा है।
भारत के मौसम में इतना बदलाव क्यों ?
अरब सागर और हिंद महासागर का सतही तापमान बढ़ रहा है। इस कारण भारत की हवा बदल रही है और उसमें नमी की मात्रा बढ़ती जा रही है। ऐसे में बारिश के बादल ज्यादा समय तक नमी नहीं रोक पाते और कम समय में ज्यादा बारिश हो जाती है। इसी कारण बारिश का दायरा भी सिकुड़ता जा रहा है।
एयरोसोल सल्फेट बढ़ने से तापमान बढ़ा
बारिश के दिनों का अंतराल भी बढ़ता जा रहा है। इस बढ़ते अंतराल का नतीजा सूखा पड़ना और लू चलना है। सर्दी के दिनों में पश्चिम से आने वाली हवा अरब सागर से गुजरते हुए गर्म होने लगी है। इस कारण भारत में सर्दी के दिन गर्म होने लगे हैं, जबकि रातें ठिठुर रही हैं।
इस बदलाव के कारण क्या हैं?
ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन और हवा में एयरोसोल सल्फेट बढ़ने के कारण वायुमंडल का तापमान बढ़ रहा है, जो जल, थल दोनों का सतही तापमान बढ़ा रहा है। इसका असर मानसून पर पड़ रहा है। भारत के मानसून का अध्ययन साल 1950 से किया जा रहा है। इससे पता चला है कि यह साल 2002 तक कमजोर होता गया है।
साल 2002 के बाद साल-दर-साल गिरने वाले पानी की मात्रा तो अमूमन नहीं घटी, लेकिन बरसात के दिनों की संख्या घट रही है। इसके पीछे भारत में जंगल की कटाई और खेतिहर जमीन का बढ़ना भी है। जंगल की कमी के कारण थल से वाष्पीकरण में कमी आई है।