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नक्सलवाद को लेकर हुई बैठक में अमित शाह ने अपनाया कड़ा रुख, देश के 90 जिले माओवादी प्रभावित

Punjab Congress mp met amit shah

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 6 मुख्यमंत्रियों और 4 राज्यों के अधिकारियों के साथ नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा  और विकास परियोजनाओं का जायजा लिया।

 मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, और  मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी रहे शामिल 

इस बैठक में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शामिल रहे।

खबरों के मुताबिक कि बैठक के लिए पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और केरल के मुख्यमंत्रियों को भी बुलाया गया था, लेकिन इन चार राज्यों का प्रतिनिधित्व राज्य के किसी मंत्री या अधिकारियों ने किया।

नक्सल प्रभावित इलाकों की सुरक्षा का जायाजा 

गृह मंत्री ने मुख्यमंत्रियों और अधिकारियों के साथ मिलकर नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा और माओवादियों के खिलाफ चल रहे अभियानों और विकास परियोजनाओं के बारे में भी चर्चा की।

नक्सल प्रभावित इलाकों में  चल रहा है  सड़कों, पुलों का काम 

इसके अलावा अमित शाह ने इन राज्यों की जरूरतों, उग्रवादियों से निपटने के लिए तैनात बलों की संख्या, नक्सल प्रभावित इलाकों में किए जा रहे सड़कों, पुलों, विद्यालयों और अस्पतालों का भी जायजा लिया।

वहीं ओडिशा के मुख्यमंत्री पटनायक ने कहा कि उनके राज्य में माओवादी तीन जिलों तक ही सिमटा हुआ है।  बैठक में इस पर  भी चर्चा हुई कि इसे और कैसे कम किया जा सके।

आपको बता दें कि इस बैठक में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, गिरिराज सिंह, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय भी  मौजूद रहें। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, खुफिया ब्यूरो के निदेशक अरविंद कुमार, केंद्र और  राज्य सरकारों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी इस बैठक का हिस्सा रहे।

देश के 90 जिलों को माओवादी प्रभावित 

आपको बता दे कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों की बात की जाये तो देश में माओवादी हिंसा में काफी कमी देखने को मिल रही है। अब लगभग 45 जिले हैं,  बता दें कि अभी भी देश के 90 जिलों को माओवादी प्रभावित माना जाता है।  और ये एसआरई योजना में आते हैं।

4,200 नक्सलियों ने  किया अब तक आत्मसमर्पण 

देश में 2015 से 2020 तक वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में अलग –अलग  हिंसात्मक गतिविधियों की वजह से  तकरीबन 380 सुरक्षाकर्मी, 1,000  नागरिक और 900 नक्सली मारे  जा चुके हैं। इसके साथ ही इस दौरान तकरीबन 4,200 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण भी किया है।

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