जातिय जनगणना को लेकर पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इसको लेकर हम लोगों ने एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी बातों को रख दिया है। इसके संबंध में सभी बातों को पहले ही मीडिया के सामने रख दी गई है। अब निर्णय लेना केंद्र सरकार का काम है। देश में अभी जनगणना की शुरुआत नहीं हुई है। देश के विभिन्न राज्यों से इसकी मांग उठ रही है। इस पर सोचना और निर्णय लेना केंद्र सरकार का काम है। अभी कुछ भी सामने नहीं आया है, ऐसे में अभी इस पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मीडिया की खबरों में यह बात सामने आ रही है कि सभी राज्यों के लोग जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं। ये देश के हित में है। इससे सभी को लाभ मिलेगा। जातीय जनगणना होने से समाज के वैसे वर्ग जिनको आगे बढ़ाने की जरुरत है के संबंध में जानकारी मिलेगी।
बता दें कि आगे नीतीश कुमार ने कहा कि हम लोग इसको लेकर हमेशा अपनी बातों को रखते रहे हैं। कुछ लोग जातीय जनगणना के खिलाफ में बोलते और लिखते रहते हैं लेकिन ऐसी बात नहीं है, यह समाज को बांटने के लिए नहीं बल्कि एकजुट करने के लिए जरुरी है। किसान आंदोलन के संबंध में पूछे गये सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग पहले से इसको लेकर बोल रहे हैं। यह कुछ इलाकों की समस्या है। केंद्र सरकार ने किसानों से कई बार बात की है। इसको लेकर केंद्र सरकार उचित कदम उठायेगी। बिहार सरकार ने किसानों के लिए काफी काम किया है। यहां प्रोक्योरमेंट काफी हो रहा है, इससे किसानों को फायदा हो रहा है।
उन्होंने कहा कि अगर किसान आंदोलन को कोई चुनाव और राजनीति से जोड़ता है तो यह उनलोगों का काम है, इस बारे में हमे कुछ भी नहीं कहना है। सभी का राजनीति करने का अपना-अपना तौर तरीका है। हम इसको राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं देखते हैं। जनता की भलाई और राज्य के विकास को लेकर हमलोग काम करते हैं। बिहार में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ी है। अब यहां काफी प्रोक्योरमेंट हो रहा है। बिहार में पहले काफी कम उत्पादकता थी, अब यहां की उत्पादकता बढ़ी है। इससे किसानों को लाभ हुआ है। हमलोग शुरु से ही कृषि रोडमैप बनाकर काम कर रहे हैं। हमलोग काम में विश्वास करते हैं, प्रचार-प्रसार में नहीं रहते हैं।
कोरोना काल में बेरोजगारी की समस्या बढ़ने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले डेढ़ साल से ज्यादा समय से पूरी दुनिया कोरोना से प्रभावित हुई है। कोरोना के कारण कई चीजों में रुकावट आने से स्वभाविक रुप से आर्थिक स्थिति पर इसका इसका प्रभाव पड़ा है। अभी सबसे जरुरी यह है कि कैसे हम जल्द से जल्द कोरोना से मुक्ति पायें।
इसको लेकर केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर तेजी से काम किया है। बड़े पैमाने पर टीकाकरण का काम किया जा रहा है। बिहार में लगभग 4 करोड़ लोगों का टीकाकरण हो चुका है। पिछले दिनों बिहार में एक ही दिन में 25 लाख लोगों को टीका लगाया गया है। राज्य में कोरोना की जांच भी काफी तादाद में की जा रही है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में भी कोरोना की जांच और टीकाकरण तेजी से किया जा रहा है।
कोरोना से बचाव को लेकर केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काफी खर्च कर रही है। इस पर राज्य सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किया है। कोरोना से किसी की मृत्यु होने पर 4 लाख रुपये की मदद शुरु से ही दी जा रही है। कोरोना से मुक्ति पाना अभी प्राथमिकता में सबसे ऊपर है। अभी ऐसा नहीं माना जा सकता है कि सबकुछ ठीक हो गया है। कोरोना से मुक्ति मिलते ही देश भर में विकास कार्यों में तेजी आयेगी। हमलोग लोगों की सुविधा के लिए विकास का काम लगातार कर रहे हैं। कोरोना के कारण कई प्रकार की बाधायें सामने आयी है। लोगों की मदद के लिए हमलोग जो कुछ भी कर सकते हैं वो कर रहे हैं। इसको लेकर अधिकारियों को भी निर्देश दिया गया है। जो भी जरूरी चीज है उसके लिये काम किया जा रहा है। आपदा प्रबंधन का काम तेजी से हो रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में कुछ कठिनाई होती है। सभी को इन सब चीजों को महसूस करना चाहिये।