हिंदू धर्म में गुरु का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु कृपा से व्यक्ति का सोया हुआ भाग्य भी जाग जाता है। हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाता है।
वेद व्यास को हिंदू धर्म का माना गया पहला गुरु
इसी दिन चारों वेदों का ज्ञान देने वाले और सभी पुराणों की रचना करने वाले महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। वेद व्यास को हिंदू धर्म का पहला गुरु माना जाता है।
गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की पूर्णिमा सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू होगी ।
गुरु पूर्णिमा करने की पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा यानि आज के दिन सुबह उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर मंदिर जाकर देवी-देवता का नमन करें। इसके बाद इस मंत्र का उच्चारण करें- ‘गुरु परंपरा सिद्धयर्थं व्यास पूजां करिष्ये’। इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा अर्चना करें। इसके लिए फल, फूल, रोली लगाएं। इसके साथ ही अपनी इच्छानुसार भोग लगाएं। फिर धूप, दीपक जलाकर आरती करें।
इस दिन गुरु महाराज की जरूर करें आरती
गुरु पूर्णिमा के पावन दिन गुरु महाराज की आरती जरूर करनी चाहिए। इस पावन दिन हर व्यक्ति को अपने- अपने गुरु महाराज का ध्यान कर इस आरती को करना चाहिए।
गुरु महाराज की आरती
जय गुरुदेव अमल अविनाशी, ज्ञानरूप अन्तर के वासी,
पग पग पर देते प्रकाश, जैसे किरणें दिनकर कीं।
आरती करूं गुरुवर की॥
जब से शरण तुम्हारी आए, अमृत से मीठे फल पाए,
शरण तुम्हारी क्या है छाया, कल्पवृक्ष तरुवर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
ब्रह्मज्ञान के पूर्ण प्रकाशक, योगज्ञान के अटल प्रवर्तक।
जय गुरु चरण-सरोज मिटा दी, व्यथा हमारे उर की।
आरती करूं गुरुवर की।
अंधकार से हमें निकाला, दिखलाया है अमर उजाला,
कब से जाने छान रहे थे, खाक सुनो दर-दर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
संशय मिटा विवेक कराया, भवसागर से पार लंघाया,
अमर प्रदीप जलाकर कर दी, निशा दूर इस तन की।
आरती करूं गुरुवर की॥