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नेपाल-भारत सीमा पर खंभों में लगेंगे जीपीएस

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काठमांडू। नेपाल और भारत की सीमा पर मौजूद आठ हजार से अधिक खंभों को ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट (जीपीएस) का इस्तेमाल कर अंतर्राष्ट्रीय स्वीकृत दिशा सूचक प्रणाली से लैस किया जाएगा। नेपाल-भारत सीमा कार्यकारी समूह (बीडब्ल्यूजी) की महासर्वेक्षक स्तर की तीसरी बैठक यहां शनिवार को संपन्न हुई। इसमें यह तय किया गया कि सीमा पर 8553 खंभों को बाउंड्री ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (एनआईबीजीएनएसएस) से लैस किया जाएगा। यह बात नेपाल सरकार के बयान में कही गई है।

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जीपीएस प्रणाली से खंभों की वास्तविक जगह, देशांतर, ऊंचाई और खंभों की स्थिति से जुड़ी हर तरह की जानकारी पाने में मदद मिलेगी। नेपाल और भारत ने सीमा पर कुल 8553 खंभे गाड़ रखे थे। इनमें से 1325 गायब हैं और 1956 क्षतिग्रस्त हैं। सीमा कार्यकारी समूह (बीडब्ल्यूजी) सीमा पर इन खंभों के निर्माण, पुनस्र्थापना और मरम्मत और मानवरहित इलाके में किसी भी निर्माण को हटाने के लिए जिम्मेदार है।

यह व्यवस्था नेपाल और भारत के सर्वाधिक विवादित सीमाई इलाके सुस्ता और कालापानी के समाधान के लिए नहीं है। बीडब्ल्यूजी की बैठक में सीमा पर चल रहे कार्य की सराहना की गई। सर्वे ऑफिसियल कमेटी और संयुक्त फील्ड सर्वे ने समीक्षा की हुई रिपोर्ट पेश की।

नेपाल और भारत 2014 में सुस्ता और कालापानी के अलावा तीन साल में सीमा विवाद सुलझा लेने पर सहमत हुए थे। दोनों देशों के अधिकारी जीपीएस के जरिए पहले ही सीमा के नक्शे के 182 खंड तैयार कर उस पर सहमति जता चुके हैं, लेकिन नेपाल के इनकार की वजह से समझौते पर हस्ताक्षर नहीं कर पाए हैं।

नेपाल का कहना है कि जब तक सुस्ता और कालापानी के सीमा विवाद का हल नहीं हो जाता है, वह इन नक्शों पर हस्ताक्षर नहीं करेगा। एसओसी और एफएसटी दोनों तकनीकी कमेटियों की बीडब्ल्यूजी को मरम्मत, रखरखाव और खंभों के उन्नयन और मानवरहित क्षेत्रों से दोनों तरफ से अतिक्रमण से जुड़ी कई रपटें दी हैं। सीमा विवाद के समाधान का काम वर्ष 2007 के बाद से ही रुका हुआ है, लेकिन कालापानी और सुस्ता को छोड़कर नक्शों के टुकड़े तैयार किए गए हैं।

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हुए नेपाल दौरे में दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि मतभेद भुलाने के लिए प्रयास करेंगे। नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोईराला और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने विदेश सचिवों को कालापानी और सुस्ता के मुद्दों के समाधान के लिए काम करना जारी रखने का निर्देश जारी किया था।

भारत का कहना है कि सुस्ता और कालापानी पर बातचीत, जिन मुद्दों पर सहमति बन चुकी उनपर हस्ताक्षर होने के बाद भी, जारी रह सकती है। जबकि नेपाल का कहना है कि सभी मुद्दों का समाधान एक साथ होना चाहिए।

(आईएएनएस)

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