मिर्जापुरः खेल के मैदान में उत्तर प्रदेश को कई मेडल दिलाने वाले विवेक मिश्रा आज दिहाड़ी कर अपने परिवार का पेट पालने के लिए मजबूर हैं। विवेक का परिवार आज आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। विवेक का कहना है कि एक खिलाड़ी को ऐसे ही भुला दिया जायेगा, कभी सपने में नहीं सोचा था।
नेटबॉल के प्लेयर थे विवेक
पहाड़ी ब्लॉक के चदेलवा गांव के रहने वाले विवेक मिश्रा नेट बॉल के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं। यूपी टीम के लिए खेलते हुए कई पदक भी हासिल कर चुके हैं औज आज यूपी सीनियर टीम के सदस्य हैं। विवेक की नौकरी संविदा पद पर मिर्जापुर के स्टेडियम में लगी थी, लेकिन मार्च 2020 में कोरोना काल ने वह भी छीन ली। ऐसे में विवेक का परिवार खाने-पीने का मोहताज हो गया। जिसके बाद परिवार का पेट पालने के लिए विवेक ने दिहाड़ी मजदूरी करने का मन बना लिया।
कर्ज लेकर दिव्यांग बहन को कराया बीएड
शादीशुदा विवेक का एक बेटा भी है। घर में दिव्यांग बहन है, जिसे बीएड कराने के लिए विवेक ने कर्ज लिया था। नौकरी चली जाने के बाद वह उसे भी चुका नहीं पाए। विवेक कहते हैं कि हमने आठ साल तक नेटबॉल खेला, कई पदक भी हासिल किए। लेकिन इन सब के बावजूद भी हमारी सुध लेने वाला कोई नहीं है। हालत ये है कि हमारा परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है। हमें एक ऐसे सहारे की जरूरत है जिससे हमारा परिवार और खेल दोनों चल सके। हमारी डिग्री के अनुसार हमें नौकरी दिलाई जाए।