लखनऊ: छत्रपति शाहूजी महराज स्मृति महराज स्मृति मंच और शिक्षक के सयुक्त तत्वाधान में छत्रपति शाहू जी महराज की 147वीं जयंती मनाई गई। जयंती मनाते समय कोविड नियमों को पूरी तरह से ध्यान में रखा गया। जयंती समारोह में स्वामी प्रसाद मौर्या मुख्य अतिथि रहे और उन्होने शाहू जी महराज के जीवन की कुछ बातों पर चर्चा भी की।
शाहू जी महराज के समय भी आई थी महामारी
केजीएमयू मेडिकल कॉलेज के निदेशक ने प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर पुष्प अर्पित किए। जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा कि कोल्हापुर राज्य में 1889 में प्लेग महामारी ने भयानक रूप ले लिया था। राज्य में इस बीमारी की वजह से अकाल जैसी समस्या आ गई थी। जब लोग अपनी शिकायते लेकर शाहू जी महराज के पास आए तो उन्होने तुरंत इसका हल निकाला। साथ ही कई योजनाओं की शुरूआत भी की। इंसान ही नहीं जानवरों के लिए भी सस्ते दाम पर घास बेचने की व्यवस्था की, ताकि सबकों रोजगार मिल सकें। छात्रपति शाहू जी महराज के इस कार्य के लिए उनकी हर ओर प्रशंसा हुई थी।
कई राजा हुए पर छात्रपति जैसा कोई नहीं
जयंती समारोह में विशिष्ठ अतिथि सासंद बृजलाल ने कहा हमारे देश में बहुत से राज रजवाडे हुए लेकिन शाहू जी महराज जैसा कोई नहीं हुआ। कोल्हापुर में मानव और समाज के हित में कार्य करते हुए जो नींव रखी वह आज पूरे देश में देखने को मिल रही है।
लड़कियों को सबसे पहले शिक्षा दी थी
समारोह में छत्रपति शाहू जी महराज स्मृति मंच अध्यक्ष रामचंद्र पटेल ने इस मौके पर कहा शाहू जी महराज ने नारी समाज को शिक्षित करने वाले वह भारत के पहले राजा थे। 25 जुलाई 1917 को प्राथमिक शिक्षा को निशुल्क कर दिया था। 1912 में लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया था। 500 से 1000 की जनसंख्या वाले गांव में स्कूल खुलवाया था। 1920 में निशुल्क छात्रावस भी खुलावाया था। इन छात्रवास का नाम प्रिंस शिवा जी मराठा फ्री बोर्डिंग हाउस रखा गया था।
अम्बेडकर के लिए कही थी यह बात
दलित पिछड़े हितैशी अम्बेडकर के रूम में तुम्हे तुम्हारा मुक्तिदाता मिल गया है। मुझे उम्मीद है वह तुम्हारी गुलामी की बेड़िया काट डालेगा। समारोह में केजीएमयू विश्विविद्यालय के कुलपति विपिन पुरी ने भी शाहू जी की प्रतिमा पर पुष्पार्मण किया। साथ कई लोगों ने अपने-अपने विचार रखे।शाहू जी महराज की जयंती पर केजीएमयू के कई डॉक्टरों को सम्मानित किया गया। जिन डॉक्टरों ने कोरोना काल में बिना कोई परवाह किए लोगों की सेवा की थी ऐसे डॉक्टरों को सम्मानित किया गया।