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मेरठ: प्रशासन की बड़ी लापरवाही, बिना सही आंकड़े के बन रही अनाथ बच्चों की लिस्ट

मेरठ: प्रशासन की बड़ी लापरवाही, बिना सही आंकड़े के बन रही अनाथ बच्चों की लिस्ट

मेरठ: कोरोना महामारी के बीच कई अधिकारी अभी भी गंभीरता से अपना काम नहीं कर रहे हैं। इसी का परिणाम है कि मेरठ और सहारनपुर मंडल में अनाथ बच्चों की जारी सूची में कई लोगों का नाम दर्ज नहीं है। खबरों के अनुसार बिना किसी जमीनी सर्वे के यह लिस्ट जारी कर दी गई। हकीकत में मौजूदा आंकड़ों से हटकर सिर्फ कुछ बच्चों का ही नाम इसमें दर्ज किया गया है।

घर बैठकर बना रहे लिस्ट

जारी आंकड़ों को देखकर यही लग रहा है कि प्रोबेशन अधिकारी घर बैठकर ही लिस्ट बना रहे हैं। उन्हें जमीन पर होने वाली मौतों का कोई अंदाजा नहीं है। मेरठ और सहारनपुर मंडल में 748 बच्चे अनाथ हुए हैं लेकिन प्रोबेशन अधिकारी की सूची में यह लोग अभी तक अपनी जगह नहीं बना पाए। सरकारी आंकड़ों में मेरठ के सिर्फ 65 बच्चों का ही नाम दर्ज किया गया है, जबकि वास्तविक आंकड़ा काफी ज्यादा है।

सरकारी मदद मिलने में झोल

उत्तर प्रदेश सरकार में अनाथ बच्चों की मदद किए जाने की बात कही। इसके बाद सभी मंडल में सूची तैयार करने की जिम्मेदारी अधिकारियों को सौंप दी गई। कोरोना महामारी के बीच कई बच्चों ने अपने माता पिता को खो दिया। इन सभी लोगों की लिस्ट जारी करके सरकार तक भेजी जानी है, जिसके बाद उन्हें सरकारी मदद उपलब्ध करवाई जाएगी।

लेकिन इसलिए सूची को बनाने के लिए अधिकारियों की तरफ से किसी भी तरह की गंभीरता नहीं देखी जा रही। सहारनपुर में सबसे ज्यादा 349 अनाथ बच्चे हैं, मुजफ्फरनगर में यह आंकड़ा 142 का है। मेरठ के एक अध्यापक की अनाथ बेटी का नाम लिस्ट में नहीं दर्ज किया गया, जबकि उसके परिवार के लोग महामारी का शिकार हो चुके हैं। ऐसे में इस लिस्ट पर कैसे विश्वास किया जा सकता है।

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योगी सरकार ने बनाया मदद का हाथ

बता दें कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना महामारी का शिकार हुए अनाथ बच्चों की मदद करने का ऐलान किया है। ऐसे सभी बच्चों की देखभाल के लिए ₹4000 हर महीने दिए जाएंगे। सभी बच्चों को ‘उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ के माध्यम से फायदा पहुंचाया जाएगा।

10 साल की आयु से कम उम्र वाले बच्चों को राजकीय बाल गृह में रखा जाएगा। उत्तर प्रदेश में मथुरा, लखनऊ, प्रयागराज, आगरा, रामपुर में ऐसे बाल गृह की व्यवस्था है। बच्चियों की देखभाल और पढ़ाई के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके साथ ही बालिकाओं की शादी के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से ₹101000 दिए जाएंगे।

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