कोरोना की मार से उद्योग, व्यापार और कारोबार संकट में है। कोरोना की पहली लहर में जैसे-तैसे संभले सूक्ष्म और लघु उद्योगों (MSME SECTOR) की दूसरी लहर ले कमर तोड़कर रख दी है। ऐसे में उद्यमियों ने मोदी सरकार से राहत पैकेज की मांग की है।
कोरोना काल में यूपी की सैकड़ों छोटी-बड़ी इकइयां बंदी की कगार पर आ गई है। प्रदेश का शायद ही कोई उद्योग हो जिसे कोरोना ने प्रभावित नहीं किया हो। सबसे बुरा असर छोटे और कम पूंजी के उद्योगों पर पड़ा है। सरकार ने उद्योगों का संचालन जारी तो रखा मगर बाजार में मांग लगभग बंद हो जाने और कच्चा माल आसानी से न मिल पाने के कारण उद्योग बंदी की कगार पर आ गए हैं। पहले से आर्थिक दिक्कतों से घिरे उद्योग और उद्यमियों को कोरोना ने असहाय और बेबस कर दिया है।
मुश्किल में हैं यूपी के तमाम छोटे उद्यमी
पिछले वर्ष लॉकडाउन के बाद वित्त मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विभिन्न फाइनेंसियल पैकेजस की घोषणा वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी। जिसमें सभी लोन्स वोर्किंग कैपिटल टर्म लोन की तरह थे। उद्योगों को दिए जा रहे लोन पर देय ब्याज प्रति माह देना था और लोन्स की EMI एक वर्ष बाद से देनी थी | उस वक्त उद्यमियों ने यह सोच कर लोन्स ले लिए कि स्थिति 6 माह बाद सुधर जाएगी और हम लोग अगले एक वर्ष बाद अतिरिक्त EMI देने की स्थिति में होंगे। परन्तु कोरोना की दूसरी लहर ने उद्योग और उद्यमियों की कमर तोड़कर रख दी। कामकाज न चलने के कारण उद्यमी आर्थिक संकट से घिरे हैं। ऐसे में बैंक की देनदारी और सिर पर खड़ी हो जाएगी।
सरकार ने मदद नहीं की तो हो जाएगी मुश्किल
कैश की कमी के कारण सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम की कमाई प्रभावित हुई है। वित्तीय नुकसान, कार्यशील पूंजी में रुकावट, इन्वेंट्री ब्लॉकेज, ऋण पर ब्याज, बिल भुगतान, बाजार की मांग में कमी, बाधित आपूर्ति श्रृंखला, कच्चे माल की लागत में वृद्धि, आदि के कारण सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम अपनी इकाइयों को बंद करने के लिए बाध्य हैं । वे COVID से हुए नुकसान के कारण किसी भी वित्तीय अनुपालन को पूरा करने की स्थिति में नहीं हैं। सरकार को इस पर गंभीरता से गौर करके उद्यमियों को राहत देने के लिए पैकेज का ऐलान करना चाहिए। अगर सरकार ने इन पहलुओं को अनदेखा किया तो कई उद्योग बंदी की कगार पर आ जाएंगे।
आने वाले वक्त को लेकर डरे हुए हैं उद्यमी
कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बाद तमाम उद्योग बंदी की कगार पर खड़े हो गए हैं। ऐसे में उद्यमी यह नहीं समझ पा रहे हैं कि वो उद्योगों को चलाने के लिए जरूरी संसाधन और पूंजी कहां से जुटाएं। कोरोना की तीसरी लहर भी आने वाली है। ऐसे में बाकी लोगों के साथ उद्यमियों के मन में भी आने वाले वक्त को लेकर खास डर है। उद्यमियों ने केन्द्र सरकार को अपना मांग पत्र भेजा है। उन्हें उम्मीद है कि राहत पैकेज में वित्तमंत्री उनकी चिंता जरूर करेंगी।
उद्यमियों ने यह मांगा है सरकार से
1-कच्चे माल की लागत में वृद्धि की बात को ध्यान में रखते हुए और सूक्ष्म और लघु उद्योगों पर वित्तीय बोझ को कम किया जाए। सीजीटीएमएसई कवरेज की सीमा को 2 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये करने की आवश्यकता है।
2-वर्तमान स्थिति को देखते हुए बैंकों को अनुमानित टर्नओवर के 40% पर कार्यशील पूंजी प्रदान करने की अनुमति दी जाए जो कि अभी तक 25% है।
3-सूक्ष्म और लघु उद्योग, जिनके पास Collateral loans के आधार पर कार्यशील पूंजी है, उनकी सीमा को बिना किसी अतिरिक्त Collateral Security की मांग के 25% तक बढ़ाया जाना चाहिए।
4-सभी ऋणों (सावधि ऋण, डब्ल्यूसीटीएल और डेबिट/क्रेडिट कार्ड) की ब्याज दर 8% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
4-ECLG के तहत मोराटोरियम तथा EMI के मोराटोरियम की मोहलत को 31 मार्च 2022 तक बढ़ाया जाना चाहिए।
5-सीजीटीएमएसई सहित अन्य लोन पर किसी भी प्रकार का प्रोसेसिंग शुल्क और वार्षिक शुल्क नहीं होना चाहिए। CGTMSE योजना के लिए ऋण स्वीकृति, वर्तमान में यह केवल 1 वर्ष के लिए है, लेकिन हर वर्ष अनावश्यक दस्तावेज़ीकरण से बचने के लिए इसे 3 वर्ष किया जाना चाहिए । योजना के तहत अनिवार्य collateral-free Loans की सीमा 10 लाख की सीमा को 20 लाख तक बढ़ाया जाना चाहिए ।
6-WCTL की सीमा में 2 करोड़ रुपये तक की वृद्धि को 0% मार्जिन पर 31 मार्च 2022 तक बढ़ाया जाना चाहिए।
7-देय कार्यशील पूंजी बिलों पर 3 महीने के बजाय 6 महीने के लिए विचार किया जाना चाहिए ।
8-8% की ब्याज दर पर व्यय की अनिवार्य मांगों को कम करने के लिए 3 साल की अवधि के लिए 2 करोड़ रुपये तक का अल्पकालिक कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान किया जाना चाहिए।
9-सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लिए 31 मार्च 2022 तक कोई एनपीए नहीं होना चाहिए ।
10-बैंक के साथ किसी भी देरी से अनुपालन के लिए कोई जुर्माना नहीं लगाया जाना चाहिए।
11-बैंक ऋण की प्रगति पर बेहतर निगरानी रखने के लिए आरबीआई के एसएसएलसी को त्रैमासिक के बजाय मासिक बैठक करनी चाहिए।
12-SARFAESI Act 2002, DRT Act 1993 के तहत सभी लंबित कार्यवाही या नीलामी सहित किसी भी अन्य वसूली को 2 साल के लिए निलंबित कर दिया जाना चाहिए।
13-CLCSS में विगत लगभग 2 वर्षो से fund न होने के कारण उद्यमियों की सब्सिडी रुकी हुई है। आज उद्योग में फंड्स की अत्यधिक आवश्यकता को देखते हुए इसे तुरंत release करने की जरूरत है ।
14-सभी सरकारी विभागों/कंपनियों और कॉरपोरेट्स को एमएसएमई के लंबित देय भुगतान तुरंत जारी करने के आदेश दिए जाने चाहिए।
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कोरोना के कारण एमएसएमई सेक्टर बुरे दौर से गुजर रहा है। प्रदेश में सैकड़ों इकइयां बंदी की कगार पर पहुंच गई है। उद्यमी आर्थिक संकटों से घिरे हुए हैं। हमने केन्द्र सरकार से छोटे और मझोले उद्योगों के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की मांग की है। हमें उम्मीद है कि सरकार के राहत पैकेज में एमएसएमई सेक्टर को प्रमुखता से शामिल किया जाएगा।
मनमोहन अग्रवाल, वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आईआईए