लखनऊ: नवरात्रि का आज चौथा दिन है। नवरात्र पर भक्त विभिन्न देवी मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं और माता रानी से मन्नतें मांगते हैं। यूपी के अलग अलग जिलों में मां दुर्गा के विभिन्न सिद्धपीठ हैं। इन सिद्धपीठों की अपनी मान्यता है।
आज हम आपको माता रानी के इन्ही सिद्धपीठ में से एक सिद्धपीठ का परिचय करवाने जा रहे हैं। ये है अहिल्यापुर देवी मंदिर।
इस स्थान पर है सिद्धपीठ
ये मंदिर यूपी के देवरिया जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। इस मंदिर की इतनी मान्यता है कि यहां पर कभी गुलामी के दिनों में अंग्रेज भी माता रानी के आगे शीश झुकाते थे। अंग्रेज भी मां दुर्गा के चमत्कार और शक्ति के कायल हो गए थे।
मां से की गई हर मुराद होती है पूरी
ये मंदिर भारत और पूरी दुनिया के देवी भक्तों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है। यहां पर नवरात्रि के दिनों में मेले जैसा माहौल हो जाता है।
नवरात्र के पहले से लेकर अंतिम दिन तक यहां भक्तों का रेला लगा रहता है और लोग अपनी मुरादें लेकर मां दुर्गा के पास आते हैं। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां पर आपने अगर एक बार दर्शन कर लिए तो यहां मांगी गई हर मुराद जरूर पूरी होती है।
अंग्रेज हो गए थे नतमस्तक
दरअसल भारत के गुलामी के दिनों में जब यहां पर अंग्रेजों का राज था तो वो पूरे भारत में रेल की पटरी बिछा रहे थे। वो गोरखपुर तक छपरा बिहार तक रेललाइन बिछा रहे थे। ये पटरी ब्रिटिश उपनिवेशकों की देखरेख में बिछाई जा रही थी। यहां पर जो पटरी बिछाई जा रही थी वो माता के पिंड से होकर गुजरनी थी।
रात में छिपकर बैठ गए अंग्रेज
यहां पर अंग्रेज दिन में पटरी बिछाते और सुबह जब दोबारा चेक करते तो पटरी टूटी मिलती। इस बात से अंग्रेज परेशान हो गए और उन्होंने दिमाग लगाया कि हो न हो ये काम यहां के स्थानीय ग्रामीणों का है। वो ही पटरियों को रात में तोड़ देते हैं। इसके बाद अंग्रेजों ने चाल चली और रात में ही छुपकर बैठ गए। इस दौरान अंग्रेज ये देखकर दंग रह गए कि पटरी तो अपने आप चिटक रही है।
माता रानी ने दिया सपना
इसे देखकर अंग्रेज अफसर डर गया। इसी दौरान माता रानी ने अंग्रेज अफसर को सपना दिया और कहा कि पटरी को इस जगह से न निकालो। इस आदेश को मानते हुए अंग्रेजों ने 100 मीटर बढ़कर पटरी बिछाई और माता की पिंडी वाले स्थान पर छोटे मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया और यहां पर एक भव्य मंदिर बनवा दिया। इस दौरान जितने दिन वो अंग्रेज अफसर यहां रहा उसनें माता रानी के दरबार में माथा टेका।