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बंगाल: चुनावी राज्यों में कोरोना का असर नहीं?, जाने क्या है वजह ?

कोरोना

कोलकाता: देश में कोरोना की रफ्तार दोगुनी से 10 गुनी हो चुकी है। लेकिन चुनावी राज्यों में इसका असर नहीं दिख रहा है। राजनीतिक पार्टियां लगातार रैलियां कर रही है। इसको लेकर कई तरह के गंभीर सवाल उठ रहे हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में से सिर्फ बंगाल में ही चुनाव बाकी हैं। यहां नेताओं की चुनावी रैलियों में सैकड़ों की संख्या में लोग उमड़ रहे हैं। कोविड प्रोटोकॉल की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इसके बावजूद बंगाल कोरोना टेस्टिंग के मामले में काफी पीछे है।

टेस्टिंग के मामले में बंगाल का 10वां स्थान

कोरोना सैंपल टेस्ट के मामले में बंगाल का देश में 10वां स्थान है। देश में कल 14 लाख 73 हजार से ज्यादा टेस्ट किए गए थे। जिसमें बंगाल में सिर्फ 42 हजार टेस्ट हुए हैं। तो वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र में 2 लाख से ज्यादा टेस्ट हुए, यूपी में 2.1 लाख और गुजरात में 1.6 लाख यहां तक की छत्तीसगढ़ में 50 हजार से ज्यादा टेस्ट हुए हैं। जबकि बंगाल की अपेक्षा छत्तीसगढ़ काफी छोटा राज्य है। ऐसे में बंगाल में इतनी कम टेस्टिंग होना कई सवाल भी खड़े करता है। कि जहां एक तरफ अन्य राज्यों में कोरोना के इतने ज्यादा मामले आ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ बंगाल क्यों पीछे है।

24 घंटे में 6 हजार से ज्यादा केस 

पिछले 24 घंटे में पश्चिम बंगाल में एक दिन में कोविड-19 के अब तक के सबसे ज्यादा 6,769 नए मामले आए हैं। वहीं 22 और मरीजों की मौत के बाद मृतकों का कुल आंकड़ा 10,480 पर पहुंच गया है। यहां अभी भी 36,981 एक्टिव केस हैं।

3 चरणों का बंगाल चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव

पश्चिम बंगाल में चल रहे विधानसभा चुनाव के दौरान कोविड प्रोटोकॉल बनाए रखने को लेकर राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी एरिज आफताब ने आज एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इससे एक दिन पहले गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस ने 22, 26 और 29 अप्रैल को होने वाले चुनाव के अंतिम तीन चरणों को क्लब करने का प्रस्ताव रखा।

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