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पंचायत चुनाव: बैंक का बकाया है तो नहीं बन पाएंगे प्रधान, प्रशासन रद्द कर देगा नामांकन

पंचायत चुनाव का रास्ता साफ, सरकार ने आरक्षण नियमावली पर लगाई मुहर

लखनऊ। बैंक और सहकारी बैंकों का कर्ज डकारने वाले प्रत्याशी इस बार ग्राम प्रधान नहीं बन पाएंगे। सरकार ने ऐसे लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है। इस बार सभी प्रत्याशियों को अपने प्रमाणपत्र के साथ बैंकों का नो-ड्यूज भी लगाना होगा।

प्रदेश में प्रधानी का चुनाव लड़ने वालों को समय रहते बैंकों का बकाया भुगतान करना होगा। ऐसा न करने वालों के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। उनका नामांकन रद्द हो सकता है। लखनऊ के डीएम अभिषेक प्रकाश ने इस आशय का आदेश जारी कर दिया है।

बैंकों की हालत भी होगी बेहतर

सहकारी बैंकों पर तमाम लोगों का करोड़ों का बकाया है। प्रधान प्रत्याशियों के लिए यह आदेश जारी होने के बाद बैंकों की हालत बेहतर होगी। बकाया जमा होने पर बैंक खराब दौर से बाहर निकलेंगे।

गांवों में बह चली चुनावी बयार

देहात में चुनावी बयार तेज हो गई है। प्रधानी से लेकर जिला पंचायती तक दावेदारों ने अपनी-अपनी बिसात बिछानी शुरू की दी है। प्रधानों को पार्टियों का सिंबल भले ही न मिले मगर पार्टियों का समर्थन हासिल करने के लिए उन्होंने दौड़-भाग शुरू कर दी है।

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